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Friday, December 31, 2021
Dear all
Wednesday, December 29, 2021
Last week of this year. 2021
Saturday, December 25, 2021
आधुनिक सोच
Friday, December 17, 2021
Once I was wilting
Thursday, December 2, 2021
हालातो से घिरा हुआ इंसान
इंसान बच तो जाता है मगर ज़िंदा नहीं रहता।
Friday, November 26, 2021
उदास लड़के
Sunday, November 21, 2021
यात्राएं और हम
Thursday, November 4, 2021
गुल्लक सा बचपन
Monday, November 1, 2021
अच्छा लगता हैं
दिन के किसी भी वक़्त अपने लिए चाय बनाना ...
किसी अधूरी पढ़ी किताब को पूरा पढ़ जाना ...
किसी पुराने दोस्त से फ़ोन पर घंटो बतियाना ...
चाय के प्याले में बिस्किट का टूट के गिर जाना
जा कर बालकनी में कुछ पौधों से मिल कर आना ...
रूठना खुद ही से फिर खुद ही को समझाना ...
रेडियो पर कुछ पुराने गाने सुन कर गुनगुनाना
आईने में कुछ देर तक देखना खुद को ...
और देख कर कई तरह की शक्लें बनाना ...
अच्छा लगता है कभी कभी ...
खुद के साथ भी कुछ वक़्त बिताना ...
Saturday, October 23, 2021
इक ख्याल
Saturday, October 16, 2021
वो शाम पुरानी बचपन की
Saturday, October 2, 2021
कुछ पुरानी यादें
Thursday, September 16, 2021
इक फोन काल
Tuesday, August 31, 2021
बहुत दिनों बाद।
Thursday, August 26, 2021
अतीत
Monday, May 3, 2021
खामोशियों
कोई तुझे बरगलाये तो तुम खामोश हो जाना
कोई तुझे भड़काये तो तुम खामोश हो जाना
क्योंकि तुम्हारी ख़ामोशी ही उसे मात देगी
क्योंकि तुम्हारी ख़ामोशी ही नेगेटिव एनर्जी का नाश करेगी
ख़ामोशी ही मन के गहराइयों में सुकून की लहरें उठायेंगी.
–खामोश होने से खामोश हो जाता है तुम्हारा गुस्सा
खामोश होने से ख़ुशी का अहसास होता है
–
जब आँखे बंद हो
जब लब पे तले लगें हो
पालथी मार कर बैठे हो जैसे तुम
ध्यान की समाधि में तल्लीन हो.
–तब दिल से निकल कर विचारें मन में तैरने लगती है
सूरज की रोशनी अन्दर प्रवेश कर जाती है
जो बेजान तंत्रिका कोशिकाओं में जान लाती है
जिससे पॉजिटिव एनर्जी का जन्म होता है
और मन हकीकत को महसूस करता है
_जब कोई चिलाये तो तुम खामोश हो जाना। आपने तंत्रिका कोशिकाओं को अपने बस में कर लेना
इससे तुम्हें बहुत शान्त मिलेगी। खामोशियों को धारणा कर लो मन को हिमालय बना देगी। खामोशियों से दोस्ती कर लो ये बड़ी काम की चिज हैं। कभी
बेइज्जती नहीं होने देंगी ये खामोशियों मेरी तेरी इसकी उसकी सबकी 😁🤪🤪🤪😬😬😬🤐
Monday, March 29, 2021
Science behind Holi, the festival of Colours
Holi, the festival of Colours is celebrated in different corners of India with pomp and gaiety on full moon day in the month of Phalgun which is the month of March as per the Gregorian calendar. We all are also aware of the Legend of demon King Hiranyakashyap and his son Prahlad and sister Holika. I don’t want to repeat that story. Have you ever thought that there could be any scientific reason behind the festivals we celebrate? Here, I intend to trace the science behind the festival of Holi. Let’s explore-
Holi is played in the Spring Season which is a period between end of winter and advent of summer. We normally go through the transition phase of winter and summer. The period induces the growth of bacteria in the atmosphere as well as in the body. When Holika is burnt, temperature of the nearby area raises around 50-60 degree Celsius. Following the tradition when people perform Parikrama (go around the bonfire/pyre), the heat coming from the bonfire kills the bacteria in the body and cleanses it.
In some parts of the country, after Holika Dahan (burning of Holika) people put ash on their forehead and also mix Chandan (paste of sandal wood) with the young leaves and flowers of the Mango tree and consume. It is believed to promote good health.
This is the time, when people get the feeling of tardiness. This is quite natural for the body to experiences some tardiness because of change in weather from cold to the hot in the atmosphere. To counter this laziness, people sing Songs (Phag, Jogira etc.) with Dhol, Manjira and other traditional instruments. This helps in rejuvenating the human body. Their physical movement while playing with colours also helps in the process.
Colours play vital role in fitness of human body. Deficiency of a particular colour could cause an ailment and can be cured when that colour element is supplemented either through diet or medicine. In ancient times, when people started playing Holi, the colours used by them were made from natural sources like turmeric, Neem, Palash (Tesu) etc. The playful pouring and throwing of colour powders made from these natural sources has a healing effect on the human body. It has the effect of strengthening the ions in the body and adds health and beauty to it.
Wednesday, March 17, 2021
कुछ यादें कभी नहीं भुलती
वो स्पेंसर और सिटी सेण्टर की शाम,
सत्यम और इनोक्स में भीड़ की लम्बी आलम,
कैंप रोड की जगमगाती और भागती रफ़्तार,
वो पानी टंकी के मैदान में क्रिकेट खेलने की मार
वो MMM PG College ki की लम्बी भीड़,
वो Masters होने का एक अलग सा अभिमान,
वो science department का एकलौता रास्ता,
वो रेलवे प्लेटफार्म कि सीढीयो पे चढ़ कर सु सु करने की पागलपन ॥२॥
वो घरवालो से कालेज वोल कर रास्तमे रह जाना
रात के अँधेरे में गलियों मे चिलाना
वो परमठ मन्दिर में। हर हर महादेव जपना,
वो जब कुछ कर के दिखने का सपना ॥३॥
साल बीतते गये,
नये नये लोग मिलते गये,
अब सुबह सुबह ऑफिस शाताती,
रात मालूम नहीं कब बीत जाती ॥
Sunday, March 14, 2021
कुछ हमने कह दिया कुछ हमने सुन लिया
कुछ हम ने कह दिया तो बुरा मान गए हैं
कुछ हम ने सुन लिया तो बुरा मान गए हैं
दुनिया के हर सितम वो मेरे नाम कर गए
सब हमने सह लिया तो बुरा मान गए हैं
अपने ज़मीर का हम सौदा न कर सके
ये ज़ुर्म्र कर लिया तो बुरा मान गए हैं
वो गुलपसंद थे हमें ख़ारों से प्यार था
इक खार चुन लिया तो बुरा मान गए हैं
शीरी जुबान अब तो खंज़र-सी हो गई है
मुँह हमने सी लिया तो बुरा मान गए हैं
उनको यकीं था शायद घुट जाएंगी साँसें
कुछ दिन तपिश जिया तो बुरा मान गए हैं
Vinod kushwaha
Monday, March 8, 2021
लिबास
रेशो की परतों पर कुछ धूल भी जम चुकी है
यादों की तपिश में कुछ रंग भी हल्का हो गया है
कुछ कड़वी यादो के जख्म धोए तो थे
मगर दाग जाने का नाम ही नहीं लेते
एक रोज कोशिश भी की थी उस लिबास को उतारने की
पर तुम्हारी यादों की हवायें इतनी सर्द थी
की उसे बिना पहने रूह की ठंडक जाती ही न थी
खैर अभी भी वो लिबास मुझे जकड़े हुए है
शायद मुझे आदत नहीं है कमीज़ की तरह रिश्ते बदलने की !!!!
Sunday, March 7, 2021
मेरी कलम
Wednesday, March 3, 2021
मेरे गाँव की सड़क
कहीं टूटती सी, कहीं फूटती सी, मेरे गाँव के बीच से गुज़रती ये टूटी-फूटी सड़क..जानती है दास्ताँ, हर कच्चे-अधपक्के मकान की, हर खेत,हर खलिहान की…ये सड़क जानती है,कब कल्लू की गय्या ब्याई थी,और कब रज्जन की बहू घर आई थी,ये सड़क जानती है,कब बग़ल के चाचा ने दम तोड़ा थी,कब चौरसिया ने लुगाई को छोड़ा थी..मेरे गाँव की सड़क ये जानती है,तिवरिया के आम के बाग़ सेरेंगती हुई इक पगड़डीसीधे निकलती है उस चौराहे पे,जहाँ चार बरस पहले,औंधे मुँह गिरा था श्यामलाल फिसलकर अपनी फटफटीया से..ये सड़क जानती है,इसी चौराहे पर पहली बार मिले थे नैनभोलू नउआ के रमकलिया से…मेरे गाँव की सड़क ये भी जानती है,गए साल पानी नहीं बरसा था..बूँद-बूँद को हर खेत तरसा था..मेरे गाँव की सड़क जानती है,इस साल किसानों की फिर उम्मीद बँधी है,गाँव की हर आँख आसमान पर लगी है..मेरे गाँव के बीच से, गुज़रती ये टूटी-फूटी सड़क, जानती है दास्ताँ, हर कच्चे-अधपक्के मकान की, हर खेत, हर खलिहान की…
Monday, March 1, 2021
किसी का गुजर जाना बिन वक्त के
Sunday, February 28, 2021
Sometimes Horror Dream Become Reality
बस्तर जिले के एक छोटे से कसबे जगदलपुर में हमारा पक्का मकान था और मकान के पीछे कुछ पुश्तैनी मिट्टी के बने कमरे. मैंने एक कमरे को अपने अध्ययन के लिए सजाया. मिट्टी का यह कमरा घर के पीछे अँधेरे में था और मैंने शुरुआत इस कमरे में रहकर की.
Thursday, February 4, 2021
Expressing Yourself Through Writing Gives You Power Over Your EmotionsAs you express
If you have never thought of expressing your feelings through writing, the best way to begin is by writing a letter to yourself. To make it easier since it’s your first time, pretend to be writing to a confidential friend whom you trust. As silly as it may sound, a letter to yourself allows you to explore your feelings and thoughts. It doesn’t always have to be professional. Sometimes it’s only an expression of oneself through words. When stressed, I write to express my sadness, happiness, thoughts, stress, and anger and by the end of my writing, the burden is lifted.
Writing Releases Stress
Writing helps in expressing your anger. By pinning it down and crumbling it away, it helps to let go of those things making you angry.
The best way to handle your anger is by expressing it on a paper. School can be overwhelming, but you can have a big relief by only sitting down and jotting what you feel. It sure helps you feel relaxed.
When I am stressed, I take a paper and write all that is going in my mind. I write how I am not satisfied with myself, how someone hurt me, how I am demotivated, how I miss someone and so on. Essentially, I don’t think of big words to express my feelings, but I write my thought as they roll down in my mind. In the end, I feel free like a weight has been lifted off my shoulder.
Putting your thoughts in a paper is incredible because you can come up with a great story out of it. The best book, movie, and songs came from jotting what’s in mind. A while back I came across an article by Susan K. Perry, the author of “Writing in Flow: Keys to Enhanced Creativity” she explained that the best way to come up with a story, is by exploring your memory and consider some questions such as “when did you feel most confused or afraid? Regardless of the situation, you have been in, write it up! When did I feel angry, sad, embarrassed and shame?” For each question, write a paragraph, and without realizing it, you have a whole book.
Once you choose not to think about it and to write, everything falls in place as it is supposed to. You see, sometimes I write because I would love to be a great author someday, but the biggest reason I love writing is that it’s the most fulfilling stress reliever.