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Thursday, May 14, 2020

सारी बस्ती में आप ही नज़र आये


सारी बस्ती में आप ही नज़र आये
 

तेरी  सारी बस्ती में ये जादू नज़र आए मुझको
जो दरीचा भी खुले तू ही नज़र आए मुझको.
सदियों का रस जगा मेरी रातों में आ गया
मैं एक हसीन शक्स की बातों में आ गया.
जब तस्सवुर मेरा चुपके से तुझे छू आए
देर तक अपने बदन से तेरी खुशबू आए.
गुस्ताख हवाओं की शिकायत न किया कर
उड़ जाए न दुपट्टा कहीं खनक कर 
हाल पूछो और में न बताउ ऐसे तो हालात नहीं
एक ज़रा सा दिल ही तो टूटा है और तो कोई बात नहीं.
रात के सन्नाटे में हमने क्या-क्या धोके खाए है
अपना ही जब दिल धड़का तो हम समझे 
आपको कहीं हम याद आये है

Friday, September 27, 2019

Mai aur Mera gum

चले हैं लोग मैं रस्ता हुआ हूं
मुद्दत से यहीं ठहरा हुआ हूं
ज़माने ने मुझे जब चोट दी है
मैं जिंदा था नहीं जिंदा हुआ हूं
मैं पहले से कभी ऐसा नहीं था
मैं तुमको देखकर प्यारा हुआ हूं
मैं कागज सा न फट जाऊं
ए लोगो उठाओ ना मुझे भीगा हुआ हूं
मेरी तस्वीर अपने साथ लेना
अभी हालात से सहमा हुआ हूं
कभी आओ इधर मुझको समेटो
मैं तिनकों सा कहीं बिखरा हुआ हूं
चलो अब पूछना तारों की बातें
अभी मैं आसमां सारा हुआ हूं
मुसलसल बात तेरी याद आई गया
वो वक़्त मैं उलझा हुआ हूं
बुरा कोई नहीं होता जन्म से
मुझे ही देख लो कैसा हुआ हूं
ज़माने ने मुझे जितना कुरेदा
मैं उतना और भी गहरा हुआ हूं

Wednesday, June 5, 2019

हम बहुत दूर निकल आए हैं

जिंदगी
हम बहुत दूर निकल आए हैं 

हम बहुत दूर निकल आए हैं चलते चलते
अब ठहर जाएँ कहीं शाम के ढलते ढलते
अब ग़म-ए-ज़ीस्त से घबरा के कहाँ जाएँगे
उम्र गुज़री है इसी आग में जलते जलते
रात के बा'द सहर होगी मगर किस के लिए
हम ही शायद रहें रात के ढलते ढलते
रौशनी कम थी मगर इतना अँधेरा तो था
शम-ए-उम्मीद भी गुल हो गई जलते जलते
आप वा'दे से मुकर जाएँगे रफ़्ता रफ़्ता
ज़ेहन से बात उतर जाती है टलते टलते
टूटी दीवार का साया भी बहुत होता है
पाँव जल जाएँ अगर धूप में चलते चलते
दिन अभी बाक़ी है 'इक़बाल' ज़रा तेज़ चलो
कुछ सूझेगा तुम्हें शाम के ढलते ढलते

Sunday, March 24, 2019

उसकी याद मे न जाने कितनी कहानी बन गयी

USKI YAD ME N JANE KITNI KAHANI BAN GYI    
MONO KI JAISE YE 

JAWANI Hai DIWANI BAN GYI                                                       

‘*PHLI BAR JAB MAINE USKO DEKHA TO USKE YADO ME DIN RAT KTNE LGI.DEKH KAR USKO MERE DIL KI DHADKAN BaDNI Lagi
*USKI CHEHRE KI MASUMIAT MERE AANKHO PE CHHA GYI
USKI AADA MERE DIL KO BHA GYI

‘*USKI YAD ME N JANE KITNI KAHANI BAN GYI
MONO KI JAISE YE  JAWANI  HAI DIWANI BAN GYI                               

‘*USKI YADE BUS YADO ME SIMT  GYI
USKI YADE JAWANI KI NISANI  BAN GYI
USKI YAD ME N JANE
KITNI KAHA NI BAN GYI
MONO KI JAISE YE JAWANI  HAI DIWANI BAN GYI                        
‘*DHIRE DHIRE USKI CHAHT KAM HONE LGI
JAN KAR BHI O HUMSE ANJAN BANNE LGI
USKI YAD ME N JANE KITNI KAHANI BAN GYI
MONO KI JAISE JAWANI  YE HAI DIWANI BAN GYI                        
*  MAINE SOCHA THA KI
AGLE SALO ME  KAHANI KUCHH  NYA RANG LAYEGI O DEKH KAR
AISE HI MUSKURAYEGI DEKHTE HI DEKHTE O MUGHSE BICHHD GYI
USKI YAD ME EK NYI KAHANI BAN GYI  O AB BUS KHOWAB BAN
KR RAH GYI
‘*USKI YAD ME N JANE             
KITNI KAHANI BAN GYI                                                            

KUCHH MAHINO BAD JAB MIONE USKO DEKHA TO
PHIR O KAHANI YADE AAYI  O HUME DEKH KAR THODA SE MUSKURAYI
   MAINE USKE AANKHO ME DEKHA TO PAYAR NAJAR AAYI  USKI NAJRE MERE
 DIL KI DADKANE BADYI   USKI YE MUSKURAHT USKE CHAHT KI NISANI BAN GYI 
   
USKI YE MULAKAT EK NAYI  KAHANI  BAN GYI
MONO KI JAISE JAWANI  YE HAI DIWANI BAN GYI 

Saturday, November 3, 2018

मेरी बेचैनिय मुझे जीने नही देती

Kabhi kabhi bechainiya mujhe jine nhi deti.
badi uljhane bdhati hai mujhe sone nhi deti. 

Mere sapne jad hai mere bechainiyo ka.   
Chhod deta mai apne sapno ka hakikat me badalna per meri umeede aisa hone nhi deti. 

Thak jata hu mai har kar kosise tmam karne k bad  per mere hosle mere andar  thakan hone nhi deti. 
Mai hu aur meri umide hai bus aaj kal mere sath ..

 Andheri rat nind bhi hai thakan bhi hai . Sona to chahta hu.
 Per ye jajbate mujhe sone nhi deti. Mujhe sone nhi deti

Monday, September 17, 2018

यादे और मोहोबत

My first poem  
 Uski yadey

Uski yad me n jane kya kya kahani ban gyi mano ki jaise ye jawani hai diwani ban gyi

uske chehre ki masumiat mere aankho pe chha gyi..uski aada mere dil ko bha gyi

paheli bar jab maine usko dekha to uske .yad me din ..rat ktne lgi.dekh kar usko mere dil ki dhadkane badne lgi.

uske yad me n jane kya kya kahani ban gyi.mano ki jaise ye jawani hai diwani ban gyi  

Uski yade bus yado me simt gyi, uski yad jawani ki nishani ban gyi

uske yad me n Jan kya kya khani ban gyi mano ki jaise ye jwani hai diwani ban gyi 

Dhire  dhire uski chaht kam hone lgi  o jan kar bhi humse aanjan banne lgi..

uski yad me n jane kya kya kahani ban gyi mano ki jaise ye jawani hai diwani ban gyi

Maine socha ki agle salo me kahani nya range layegi o Hume dekh kar u hi muskurayegi Dekhte hi Dekhte o Mughese bichhad gyi,

uski yad me ek nyi kahani ban gyi, O Ab bus khowab ban  ke  rah gyi.

Chhod gayi o Apni Yadey Her Gali Chaubare me,
Dekh Leta hu Ab Bhi use Kabhi kabhi Chand Aur Sitaro Me

  This story is real  story..Written.by  vinod kumar kushwaha.      HEART    TOUCHing ,,REAL,,STORY,,
              

नजरो का कसुर .तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ"


तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ"


तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ"


तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ
तेरी नीली आँखों से कुछ ख्वाब चुराने आया हूँना दे इल्ज़ाम तू चोरी का, मैं चोर नहीं दीवाना हूँ इस रात की बस औकात मेरी, मैं नन्हा इक परवाना हूँले चलूँ तुझे तारों की छाँव, आ चल मैं लेने आया हूँ तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ………………..
तेरी चमक पे नहीं अटका मैं, तेरी सादगी पे फिसला हूँ
है आज आखिरी रात मेरी, मोहब्बत के सफर पे निकला हूँ
रख दे मेरे काँधे पर सर, इक गीत सुनाने आया हूँ
तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ………………..
जो मधुर मिलन दो पल का है, वो सदियों पे भारी है
ला पिला दो ज़ाम इन आँखों से, मेरे पैमाने खाली हैं
अधरों पे मुस्कान तो ला, मैं तुझे हंसाने आया हूँ
तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ………………..
सुना है चाँद की बस्ती खाली है, वहां किसी से जान-पहचान नहीं
पत्थर के टीले पर बैठेंगे, सबसे छुपकर चुपचाप कहीं
क्यूँ ऐसे रूठी सोयी है, मैं तुझे मनाने आया हूँ
तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ………………..
वो देख फलक पर बादल हैं, और चाँद बगल से झांक रहा
तू याद करेगी रे पगली, इस रात मैं तेरे साथ रहा
बंधन तुझसे है जन्मो का, मैं तुझे बताने आया हूँ
तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ………………..
सूरज आने ही वाला है, है थोड़ी सी अब साँस बची
क्यूँ करती है रे ज़िद सजनी, तारों की बारात सजी
तू दुल्हन, मैं तेरा दूल्हा हूँ, मैं ब्याह रचाने आया हूँ
तेरी मीठी रातों से इक रात चुराने आया हूँ
तेरी नीली आँखों से कुछ ख्वाब चुराने आया हूँ
""""Writer"""""""@विनोद"""""

यादे मेरे बचपन की

मेरे बचपन की बारिश बड़ी हो गयी! OFFICE की खिड़की से जब देखा मैने,मौसम की पहली बरसात को.... काले बादल के गरज पे नाचती, बूँदों की बारात को... एक बच्चा मुझसे निकालकर भागा था भीगने बाहर... रोका बड़प्पन ने मेरे, पकड़ के उसके हाथ को! बारिश और मेरे बचपने के बीच एक उम्र की दीवार खड़ी हो गयी... लगता है मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गयी.. वो बूँदें काँच की दीवार पे खटखटा रही थी... मैं उनके संग खेलता था कभी, इसीलिए बुला रही थी... पर तब मैं छोटा था और यह बातें बड़ी थी... तब घर वक़्त पे पहुँचने की किसे पड़ी थी... अब बारिश पहले राहत, फिर आफ़त बन जाती है... जो गरज पहले लुभाती थी,वही अब डराती है.... मैं डरपोक हो गया और बदनाम सावन की झड़ी हो गयी... लगता है मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गयी.. जिस पानी में छपाके लगाते, उसमे कीटाणु दिखने लगा... खुद से ज़्यादा फिक्र कि लॅपटॉप भीगने लगा... स्कूल में दुआ करते कि बरसे बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए... अब भीगें तो डरें कि कल कहीं OFFICE की छुट्टी ना हो जाए... सावन जब चाय पकोड़ो की सोहबत में इत्मिनान से बीतता था, वो दौर, वो घड़ी बड़े होते होते कहीं खो गयी.. लगता है मेरे बचपन की बारिश भी बड़ी हो गयी... Vinod kumar kushwaha