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Sunday, July 30, 2023

अल्हड़ सी ख्वाहिशें

वो लड़के/लड़कियाँ जो गाँव की
पगडण्डी से निकलकर नापते
है शहर का रास्ता..
वो लड़के लड़कियाँ जो उधारी पर
काटते हैं अपने दिन, कभी किताबों
के लिए, तो कभी परीक्षा के फॉर्म
के लिए,
वो जो हिचकिचाते हैं माँगने में पैसा माँ
बाबा से समझते हुए घर के हालात।
वो जो सपने पालते है कुछ कठिन। और उनको पुरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं। वो जो समोसे पकौड़े और खिलौने की पैसे को इकठ्ठा कर के खरीदते हैं किताबें। ऐ लड़के लड़कियों जब जीतते हैं न। तो सिर्फ वो नहीं जीतेते.
उनके साथ जीतता है उनका गाँव, माँ और बाबा की मजबूरीया' और उनका पूरा संसार अतीत के अंधेरे में इक दीप होती हैं इनकी जीत। और ये जब हारते हैं न तो बिल्कुल शांत से हो जातें हैं। और जीने लगते हैं एकान्त और उदासियां लेकर। कहीं मजदूरी करते हुए उन्हीं अतीतों के साथ की किसी को फिर खिलौने बेच के किताबें न खरीदेंने न पड़े। ऐ  चहरे पे मुस्कान के साथ इक घाव लिये जीते हैं।