वो स्पेंसर और सिटी सेण्टर की शाम,
सत्यम और इनोक्स में भीड़ की लम्बी आलम,
कैंप रोड की जगमगाती और भागती रफ़्तार,
वो पानी टंकी के मैदान में क्रिकेट खेलने की मार
वो MMM PG College ki की लम्बी भीड़,
वो Masters होने का एक अलग सा अभिमान,
वो science department का एकलौता रास्ता,
वो रेलवे प्लेटफार्म कि सीढीयो पे चढ़ कर सु सु करने की पागलपन ॥२॥
वो घरवालो से कालेज वोल कर रास्तमे रह जाना
रात के अँधेरे में गलियों मे चिलाना
वो परमठ मन्दिर में। हर हर महादेव जपना,
वो जब कुछ कर के दिखने का सपना ॥३॥
साल बीतते गये,
नये नये लोग मिलते गये,
अब सुबह सुबह ऑफिस शाताती,
रात मालूम नहीं कब बीत जाती ॥
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