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Tuesday, January 31, 2023

स्मृतियां

अंत क्या है? अंत एक नए शुरुआत की टंकार है या यूँ कह लीजिए, एक नए शुरुआत का शुभ मुहूर्त है, अंत जब हो चुका होता है, तो एक पूर्ण विराम के बाद से ही, एक नए शुरुआत का दौर चलता है। ये शुरुआत हमें एक दूसरे अंत की ओर खींचता रहता है। हम हर बार शुरुआत के मायाजाल में फँसते जाते हैं—आगे आने वाले अंत से बेख़बर, आई हुई नई शुरुआत का जश्न मनाते रहते हैं। जब तक हमें ख़बर होती है, हम ख़ुद को दूसरे अंत की दहलीज़ पर पाते हैं। हर अंत हमें नई सीख दे जाता है, और उसी सीख के सहारे ही हम नई शुरुआत कर पाते हैं।

आपके जीवन का हर एक अंत, जो आपका अतीत बनकर आपके पीठ पर बैठकर सवारी करता है, दरअसल उसे आप भुला देना चाहते हैं; लेकिन आप उसे कभी भूल नहीं पाते। आपकी स्मृतियों में वह जगह हमेशा रिक्त रहती है। उसे कोई भर नहीं सकता—न तो वर्तमान और न भविष्य।

अतीत जो आपके कई सारे अंत से मिलकर बना है, यह आपको इंसान होने का एहसास दिलाता रहता है… आपको भावुक करके, क्रोधित करके, आप छटपटा सकते हैं; क्योंकि आपके हाथ में कुछ नहीं है—सिवाय याद करने के—इसलिए याद करते रहिए—अपने बचपन का अंत, स्कूल के दिनों का अंत, कालेज का अंत। हर उस रिश्ते का अंत जिसमें आप प्रेम महसूस करते थे। अंत से जुड़े रहिए, याद करते रहिए। इंसान बने रहिए। स्मृतियों को याद करते रहिए क्योंकि ये आपके जिंदगी की इक हिस्सा होती हैं जो आपका बिता हुआ कल है। भविष्य को हम दोबारा जी नहीं सकते बस कल्पना कर सकते हैं 

Saturday, January 21, 2023

Tendency of kindness

You are the kind of person who sees messes in
people and wants to make them clean. The kind
of person who sees their darkness but you believe
in their light. The kind of person who knows they
might be the villain but you want them so
desperately to come out as the hero in the end.
And maybe your vision has been blurred with
tears and some would say you're not seeing too
clearly. But that light and that goodness you see
in them is just a reflection of you.

Thursday, January 19, 2023

मानव और टेक्नोलॉजी

कैसे टेक्नोलॉजी ने इन्सान कि जिन्दगी को अपने बस मे कर लिया हैं हम कहते हैं हमने दुनिया को बस में कर लिया है लेकिन सच्चाई  ये हैं कि टेक्नोलॉजी के अविष्कारों ने हमारी जिंदगी को अपने बस में कर लिया है  हम मोबाइल के बिना इक दिन नहीं रह पाते। हम टेक्नोलॉजी के अधिन हों गये हैं और टेक्नोलॉजी ने हमें ग़ुलाम बना लिया है। आज हमारे दिमाग पर वो इस कदर हावी हो गया है ही हम टेक्नोलॉजी ही अपने जीवन का आधार मान लिए है। हम इस टेक्नोलॉजी के जरिए उन कम्पनियों के गुलाम हो गये है जिन्होंने इसे बनाया है। सच्चाई के तौर पे आप देख सकते हैं टिविटर को आम आदमी नहीं सरकारें भी गुलाम है इसके जो फिचर ला रहे उसे मानने पे वो किसी भी देश के प्रधानमंत्री को भी मजबूर कर दे रहा। इक दिन ऐसा आएगा कि टेक्नोलॉजी का हमारे सांसों पे कब्जा होगा और हम सांसें लेंगे कब और कब नहीं लेंगे ऐ कम्पनियों के निर्णय लेंगी। हमारी बदलते हुए परिवेश ने हमारी जिंदगी की कठीनाई का कम नहीं और जोखिम कर रहा हैं ,,,, read more.👉 Please wait writer have no sufficient time for writing 😊

Monday, January 2, 2023

चाहत गोरेपन की

दुनिया के जितने बड़े हिस्से पर अंग्रेजो ने सत्ता
स्थापित की, यदि उसी हिस्से पर किसी अफ्रीकी देश ने की होती तो
सुंदरता का प्रतिमान गोरा होना नही बल्कि काला होना होता !
सत्ता प्रतिमान स्थापित करती है, हर चीज का । सत्तासीन लोगों को जो
भोजन स्वादिष्ट लगता है, वही स्वाद का प्रतिमान हो जाता है। जो
पहनावा पसन्द होता है, वही पहनावा फैशन का प्रतिमान हो जाता है।
सत्तासीन लोग औरतों के जिस अदा पर, जिस रंग पर फिदा होते हैं,
औरतों की वही अदा, वही रंग खूबसूरती का प्रतिमान हो जाता है।
दुनिया के अधिकांश हिस्से पर अंग्रेजों की सत्ता रही, दुनिया के
अधिकांश हिस्से में औरतों का गोरी होना उनके खूबसूरत होने का
पैमाना हो गयी, गोरी होना सुंदर होने का प्रतिमान हो गया।