दीवाली की सफाई में
किसी दराज़ कहीं अलमारी में ...
हर बार मिलता है मेरा बचपन मुझ से ...
कभी खिलौनों में कभी गुल्लकों में ...
कभी किताबों में कभी बर्तनों में.
कभी पुरानी एलबमों की कुछ तस्वीरों में
मैं कुछ देर रुक कर उसके साथ कुछ वक्त बिता कर
फिर से रख देता हूँ उसे संभाल कर वहीं किसी दिन यूँ ही फिर से मिलने के लिए
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