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Sunday, October 1, 2023

Autumn And Memories

The autumn is for the those who find beauty in the end, I think this season is for memory, Because I feel and observe it's, it's always brings a memory with sadness, love, i think people always talking about his past days of past life in this season, autumn is a season of spectacularly sad love, Every poem on autumn is filled with only love with sadness.

Monday, September 11, 2023

Maturity with growing

The older you get, the more you choose
calm over chaos and distance over
disrespect. Drama becomes intolerable to
you and your peace becomes your ultimate
priority. You start surrounding yourself with
people who are good for your mental health,
heart and soul. This is how you know you
are growing.

Sunday, July 30, 2023

अल्हड़ सी ख्वाहिशें

वो लड़के/लड़कियाँ जो गाँव की
पगडण्डी से निकलकर नापते
है शहर का रास्ता..
वो लड़के लड़कियाँ जो उधारी पर
काटते हैं अपने दिन, कभी किताबों
के लिए, तो कभी परीक्षा के फॉर्म
के लिए,
वो जो हिचकिचाते हैं माँगने में पैसा माँ
बाबा से समझते हुए घर के हालात।
वो जो सपने पालते है कुछ कठिन। और उनको पुरा करने के लिए जी जान लगा देते हैं। वो जो समोसे पकौड़े और खिलौने की पैसे को इकठ्ठा कर के खरीदते हैं किताबें। ऐ लड़के लड़कियों जब जीतते हैं न। तो सिर्फ वो नहीं जीतेते.
उनके साथ जीतता है उनका गाँव, माँ और बाबा की मजबूरीया' और उनका पूरा संसार अतीत के अंधेरे में इक दीप होती हैं इनकी जीत। और ये जब हारते हैं न तो बिल्कुल शांत से हो जातें हैं। और जीने लगते हैं एकान्त और उदासियां लेकर। कहीं मजदूरी करते हुए उन्हीं अतीतों के साथ की किसी को फिर खिलौने बेच के किताबें न खरीदेंने न पड़े। ऐ  चहरे पे मुस्कान के साथ इक घाव लिये जीते हैं। 

Friday, July 7, 2023

1 जुलाई

एक जुलाई वो तारीख़ थी जिसको खिसकाने की
लाख कोशिश के बावजूद भी 1 जुलाई को स्कूल खुल जाता था। 
बदलते मौसम और बारिश के हल्के हल्के फव्वारे और खेत में धान कि रूपाई देख कर ईक अजीब सा डर लगने लगता था। ऐसे लगता था कि स्कूल जाने का मौसम आ ही गया है। क़रीब तीन महीने की छुट्टी के बाद हाथ को क्रिकेट वाला बैट पकड़ने की इतनी आदत हो चुकी होती थी कि पेन की ग्रिप बनने में जुलाई बीत जाता था। 
एक जुलाई को सब कुछ नया हो जाता था ।
ज़िन्दगी में एक जुलाई से सब कुछ नया हो जाना
चाहिये किताबें, क्लास, जगह, बातें....सबकुछ।

Thursday, June 1, 2023

ख्वाबों के अवशेष

इक जगह जहां आप बड़े सपने देखते हुए बड़े हुए हैं।
वो सपने जो अधूरे रह गये हैं। जब भी उस जगह पे वापस आओगे। सपने वैसे ही जिन्दा मिलते हैं कहीं अलमारियों में कहीं बरामदे में कहीं किसी टेबल पर पड़े हुए।  कभी कभी सोचता हूं उन सपनों का क्या जो जड़ें की रात में भीगते हुए बरसात में जुन की गर्मी में देखें थे। सोचता हूं जगह छोड़ते ही सपने भुलते गये। सोचता हूं वो सपने वापस गाव आने पे ही क्यों जिन्दा हो जातें हैं। शायद सपने यादें और जगह ये तीनों परस्पर जुड़े हुए हैं।  अगर हम सपने की बात करें तो गांवों मे टुटी चारपाई पर लेटा हुआ बचा चंद को देखता है।  और चांद पर जाने की तमाम तरीके के बारे में सोचता है।  ग़रीबी और कम संसाधनों मे जो सपने आते हैं न वो अमीरों के घर में नहीं आते।  इतिहास गवाह है बड़े से बड़े साइंटिस्ट बदतर हालातों में रह कर कुछ ऐसा दिया हैं संसार को की सदियों तक रिसर्च चलता रहेगा।  सपने की बात करें तो बहुत बड़े बड़े सपने इन गांव के गलियारों में दफ़न हो जातें हैं ।  और सपने देखने वाला दो वक्त की रोटी कमाने मे लग जाता है। सपने हकीकत और हम पिछरेपन का तमगा लिए जीते हैं अधुरेपन इक अवशेष सा है जो दफ़न है कहीं कहीं न कहीं।

                 *VinodkushwahaBlogs*

Thursday, April 27, 2023

तजुर्बा और कांफिडेंस

अब आदमी समय के उस पड़ाव में आ गया है कि जब कभी कुछ चीजें जिन्दगी को डिस्टर्ब करतीं हैं। या कोई समस्या होती है! तो आदमी साइलेंट मोड में आ जाता हैं। और एकान्त में बैठकर जिन्दगी में चल रही उथल पुथल को बैलेंस करने की कोशिश करता है। कभी कभी लगता हैं एकान्त ही समस्याओं का निदान है। अब किसी से राय ने लेकर खुद की विचारधारा पे आगे बढ़ने में ही सुकून लगता है। कहीं न कहीं ऐसा लगता हैं उम्र के साथ हमारे अन्दर कॉन्फिडेंस कि कमी नहीं रह गयी है अब। अब ख़ुद कि विचारो पे विश्वास होने लगा हैं। ऐसा लगता हैं जिन्दगी को करीब से समझने के बाद कांफिडेंस की कमी नहीं रह जाती हैं‌। तजुर्बा कांफिडेंस कि जननीं हैं। अब लगने लगा है 

Tuesday, April 4, 2023

बीतते वक्त

सुख के लम्हें तक के पास 
पहुँचते पहुँचते‌  हम उन लोगों से
जुदा हो जाते हैं,
जिनके साथ हमनें दुख झेलकर
सुख का स्वप्न देखा था।

Wednesday, March 8, 2023

बेरंग मन रंगीन हवाये

क्या क्या छिन लेती है जवानी होली और दिवाली बचपन की खुशियां गांव की गलियां मोहाले और बस्ती । बरसात की पानी और कागज की कस्ती।  मां के हाथों का पकवान अपनों के हाथों का गुलाल। हेनडमैड पिचकारीया। बचपन की दोस्ती गलियों की मस्ती। अपने और खिलौने सब छिन लेती है। सोचता हूं   जैसे जैसे हम संभलते है इक इक चिज छिन ली जाती हैं हमसे।  सबसे लास्ट बार छिनी गयी थी कालेज की बैग तब से रंगीन जिन्दगी बेरंग सी हो गयी।।   अब तो होली पे भी रंग फिका ही रहता हैं। जबसे बचपना गया होली रंगीन न हुई।।।

Tuesday, January 31, 2023

स्मृतियां

अंत क्या है? अंत एक नए शुरुआत की टंकार है या यूँ कह लीजिए, एक नए शुरुआत का शुभ मुहूर्त है, अंत जब हो चुका होता है, तो एक पूर्ण विराम के बाद से ही, एक नए शुरुआत का दौर चलता है। ये शुरुआत हमें एक दूसरे अंत की ओर खींचता रहता है। हम हर बार शुरुआत के मायाजाल में फँसते जाते हैं—आगे आने वाले अंत से बेख़बर, आई हुई नई शुरुआत का जश्न मनाते रहते हैं। जब तक हमें ख़बर होती है, हम ख़ुद को दूसरे अंत की दहलीज़ पर पाते हैं। हर अंत हमें नई सीख दे जाता है, और उसी सीख के सहारे ही हम नई शुरुआत कर पाते हैं।

आपके जीवन का हर एक अंत, जो आपका अतीत बनकर आपके पीठ पर बैठकर सवारी करता है, दरअसल उसे आप भुला देना चाहते हैं; लेकिन आप उसे कभी भूल नहीं पाते। आपकी स्मृतियों में वह जगह हमेशा रिक्त रहती है। उसे कोई भर नहीं सकता—न तो वर्तमान और न भविष्य।

अतीत जो आपके कई सारे अंत से मिलकर बना है, यह आपको इंसान होने का एहसास दिलाता रहता है… आपको भावुक करके, क्रोधित करके, आप छटपटा सकते हैं; क्योंकि आपके हाथ में कुछ नहीं है—सिवाय याद करने के—इसलिए याद करते रहिए—अपने बचपन का अंत, स्कूल के दिनों का अंत, कालेज का अंत। हर उस रिश्ते का अंत जिसमें आप प्रेम महसूस करते थे। अंत से जुड़े रहिए, याद करते रहिए। इंसान बने रहिए। स्मृतियों को याद करते रहिए क्योंकि ये आपके जिंदगी की इक हिस्सा होती हैं जो आपका बिता हुआ कल है। भविष्य को हम दोबारा जी नहीं सकते बस कल्पना कर सकते हैं 

Saturday, January 21, 2023

Tendency of kindness

You are the kind of person who sees messes in
people and wants to make them clean. The kind
of person who sees their darkness but you believe
in their light. The kind of person who knows they
might be the villain but you want them so
desperately to come out as the hero in the end.
And maybe your vision has been blurred with
tears and some would say you're not seeing too
clearly. But that light and that goodness you see
in them is just a reflection of you.

Thursday, January 19, 2023

मानव और टेक्नोलॉजी

कैसे टेक्नोलॉजी ने इन्सान कि जिन्दगी को अपने बस मे कर लिया हैं हम कहते हैं हमने दुनिया को बस में कर लिया है लेकिन सच्चाई  ये हैं कि टेक्नोलॉजी के अविष्कारों ने हमारी जिंदगी को अपने बस में कर लिया है  हम मोबाइल के बिना इक दिन नहीं रह पाते। हम टेक्नोलॉजी के अधिन हों गये हैं और टेक्नोलॉजी ने हमें ग़ुलाम बना लिया है। आज हमारे दिमाग पर वो इस कदर हावी हो गया है ही हम टेक्नोलॉजी ही अपने जीवन का आधार मान लिए है। हम इस टेक्नोलॉजी के जरिए उन कम्पनियों के गुलाम हो गये है जिन्होंने इसे बनाया है। सच्चाई के तौर पे आप देख सकते हैं टिविटर को आम आदमी नहीं सरकारें भी गुलाम है इसके जो फिचर ला रहे उसे मानने पे वो किसी भी देश के प्रधानमंत्री को भी मजबूर कर दे रहा। इक दिन ऐसा आएगा कि टेक्नोलॉजी का हमारे सांसों पे कब्जा होगा और हम सांसें लेंगे कब और कब नहीं लेंगे ऐ कम्पनियों के निर्णय लेंगी। हमारी बदलते हुए परिवेश ने हमारी जिंदगी की कठीनाई का कम नहीं और जोखिम कर रहा हैं ,,,, read more.👉 Please wait writer have no sufficient time for writing 😊

Monday, January 2, 2023

चाहत गोरेपन की

दुनिया के जितने बड़े हिस्से पर अंग्रेजो ने सत्ता
स्थापित की, यदि उसी हिस्से पर किसी अफ्रीकी देश ने की होती तो
सुंदरता का प्रतिमान गोरा होना नही बल्कि काला होना होता !
सत्ता प्रतिमान स्थापित करती है, हर चीज का । सत्तासीन लोगों को जो
भोजन स्वादिष्ट लगता है, वही स्वाद का प्रतिमान हो जाता है। जो
पहनावा पसन्द होता है, वही पहनावा फैशन का प्रतिमान हो जाता है।
सत्तासीन लोग औरतों के जिस अदा पर, जिस रंग पर फिदा होते हैं,
औरतों की वही अदा, वही रंग खूबसूरती का प्रतिमान हो जाता है।
दुनिया के अधिकांश हिस्से पर अंग्रेजों की सत्ता रही, दुनिया के
अधिकांश हिस्से में औरतों का गोरी होना उनके खूबसूरत होने का
पैमाना हो गयी, गोरी होना सुंदर होने का प्रतिमान हो गया।