२.३ दिनो से पापा का काल नहीं आ रहा था दिन में कभी कभी कभी ख्याल आता था। फिर काम में busy हो के भुल जाता था। रात को १० बजे अचानक मन उदास सा हुआ तो काल किया पता चला कि मां दो दिन से अस्पताल में है। फिर रात किसी तरह सोया सुबह होते ही उस शहर के लिए निकल लिया अस्पताल जाने के बाद मां के पास बैठा गया पुछने लगा कि क्यों नहीं बतायी की अस्पताल में Admite हो, तब तक मेरी नज़र साइड वाले बेड पे गयी फिर मां अपनी बीमारी बताना भुल के उस लड़के के बारे में बताने लगे जो साइड वाले बेड पे लेटा था। मेरे ही ज़िले के रहने वाला था। इक दिन पहले भर्ती हुआ था। उसके दोनों हाथों में पट्टी थी। कारखाने में काम करते वक्त कट गया था। बेचारा अकेले बेड पे पडा था। मां बताई की उसके मां बाप भी बिमार है गांव में उसका भाई आया था कल गाव चला गया। और इसका इक जानने वाला है वहीं कभी कभी आ रहा। उसके पास कान ढाकने को कपड़े तक नहीं थे। कोई उसको पुछने वाला नहीं था जो दर्द और बदनसीबी के आंसु होते हैं न वो दिख रहा था उसके आंखो में
जितना वो लड़का रो रहा था मेरी मां उसको समझा रहीं और रोई जो रहीं थी। इसको अपनी बिमारी का एहसास ही नहीं हो रहा। कि हम भी बीमार है। हम गांव वाले होते ही एसे है, मै दुर से देख रहा था। सोच रहा था ज़िन्दगी है जिसको जो दे। फिर मैं पास गया सोच थोडा तसली दे दूं बेचारे को। उसको पस गया तो उसके हालात और उसकी बातों सुन के मेरे आंखों में आंसू आ गये। फिर मैं किसी तरह आंसू रोका और मुंह दुसरे तरफ़ कर लिया। मैं मां के लिए कुछ फल ले गया था उसको मां ने उस लड़के को दे दिया और कम्बल भी और उसके कानों में मफ़लर बांध दी। मैं सोचने लगा ये देख के की कितने नसीब वाले है। न जो इस मां के बेटे हैं हम। यहां तो और भी माये हैं किसी की नजर भी नहीं जा रही इसके तरफ़। फिर सोचा अरे ये तो शहर वाले है। इनके अन्दर की इंसानियत तो इनके पुर्वज ले के चले गये है। खैर आज मां हास्पिटल से discharge भी होने वाली थी। तब तक इक नर्स आई मां को ले के चलीं गईं। आंटी आप मत रो अपका भी तबियत ख़राब हो जायेगा। बोल के ले के चलीं गईं। मैं उस लड़के को तसल्ली के सिवा कोई मदत नहीं कर सका। और मां कों ले के घर के लिए चल दिए। उसके हालात न मुझे ज़िन्दगी के मायने समझा दिया। मैं अपनी बिती कल भुला चुका था वो सब याद आ गया। जब मैं इक अनजान सा अस्पताल में अकेले पड़ा था। और सोचने लगा।
कुछ ऐसे हादसे भी होते हैं ज़िंदगी में
इंसान बच तो जाता है मगर ज़िंदा नहीं रहता।
इंसान बच तो जाता है मगर ज़िंदा नहीं रहता।
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