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Tuesday, April 15, 2025

“खेतों का इंतजार: बारिश और बचपन”

 बेटा शहर में रहता है। अच्छा कमा लेता है अब। एक महीने की तनख्वाह से पूरा ६ महीने की फसल खरीद सकता है। लेकिन बारिश के बाद घर फोन कर के पिता से ये जान कर दुखी हो जाता है। कि इस बार की बारिश से गेहूं की फसल को नुकसान हो गया है। ये दुख पैसों की नुकसान का नहीं है। ये दुख है उसको उसके खेत और फसलों से लगाव का जहां उसका बचपना बीता है। वो बड़ा हुआ है। बढ़ती हुई फसलों के साथ। गेहूं धान की बालियों के साथ खेलते हुए। पकते हुए फसलों को देख कर वो महसूस किया है। लंबे इंतज़ार के बाद की खुशी जब पकी फसले आंगन में दस्तक देती है। तो जो खुशी जो सुकून आता है , उसको उस सुकून का छीन जाने का दुख है। उसको समृद्धियों का वापस आ जाने से दुख है। सबसे ज्यादा जो दुख हैं उसको वो पिता का दुखी हो जाना है। जिसकी भरपाई पैसों से नहीं की जा सकती। मेरा मानना है कि हर दुःख को पैसों से नही ठीक किया जा सकता।   

Friday, January 12, 2024

कोई सुनता कया असफल लोगो की संघर्ष की कहानियां

छात्रों का संघर्ष बस छात्रों के कमरे की दीवार ही देख पाई है। कहा देख पाती है दुनिया दुनिया का सबसे बड़ा संघर्ष। दुनिया बस देखा है सफल और असफल इंसान। कहा देखी है, फटी चढ़ी और बनियान में 13 छेद, टूटी चापले, खाने के नाम पर महीनो खिचड़ी और चाय, कहा देखी हैं दुनियां। अधूरे बिस्तर में अधूरे नींद, भूखे  पेट और अकेलापन, कमरे का कोना किताबे, ख्वाब और जिमेदारिया. चंद रूपयो में महीनो गुजारना चंद सिक्को के लिए मिलो पैदल चले जाना और उन पैसों से किताबे खरीदना। मिडल क्लास लड़को का कोई पीड़ा देखा है तो ओ है। छात्र जीवन की कमरे की दीवारें और किताबो के पन्ने वही गवाह है। एक सफल और असफल छात्रों की संघर्ष की कहानी कि। वही सुना सकते है मिडिल क्लास छात्रों की संघर्ष की कहानियां। कहानियां तो बहुत हैं संघर्ष की। लेकिन कोई सुनता कया असफल लोगो की संघर्ष की कहानियां। बस जो सफल हो गए उनकी कहानियां लिखी गई, और जो असफल रह गए उनकी कहानियां किताबो के पाने और कमरे के दीवारों में दफन हो गई.। और फिर वो सुनाते रहे सफल लोगों की कहानियां एक दूसरे को और उनका संघर्ष एक अधजली शामशान बनकर अंदर ही जलती रही तूफानों में।