(Vinod kushwaha) Born in Eastern UP, a microbiologist by profession and unseen storyteller by soul, I walk where science and literature walk the dusty roads together, weaving unseen stories.
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हर बार कुछ भी वैसा नहीं होता।
हर बार कुछ नया दिखता है। कुछ पुराने के साथ। बच्चे बड़े हो जाते है, बड़े के चेहरे पे झुरिया आ गई होती है। बूढ़े और झुक गए होते है, पौधा पेड़ ...
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मेट्रो, रेलवे, बस स्टैंड, हर जगह बढ़ते भीड़ ये बता रहे है। की लौटना ही पड़ता है स्मृति में सुकून के लिए एक अंतराल के बाद। हर अधूरी कहानी घर...
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गोदान" जो पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांव को बहुत गहराई से बया करता है। और आज भी पढ़ते वक्त लगता ही नहीं है। कि ये 1940 से पहले लिखी गई है...
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अम्मा सांवली थी उसके सांवले चेहरे को देखना बचपन के सबसे पसंदीदा कामों में से एक था उसके हाथ गुलाबी फूलों की तरह कोमल नहीं थे ईंट भट्ठे की ता...




 
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