Vinod kushwaha
(Vinod kushwaha) Born in Eastern UP, a microbiologist by profession and unseen storyteller by soul, I walk where science and literature walk the dusty roads together, weaving unseen stories.
Sunday, December 21, 2025
पैमाने के आधार पर दायरे की नई परिभाषा
कम पेड़ वाले जंगल जंगल नहीं रहे। कम पानी वाली नदियां नदियां नहीं रही। कुछ पेड़ अब पेड़ के श्रेणी से बाहर हो गए, 100 मीटर से कम पहाड़ अब पहाड़ के दायरे से बाहर रहेंगे, छोटे किसान किसान के दायरे से बाहर रहे, इंसान की जरूरतों के हिसाब से हर दायरे की नई परिभाषा इंसानों द्वारा लिखी जाती रही है, ऐसी परिभाषाएं लिखी जाती रही तो, एक दिन देश दुनिया पे मजबूत पकड़ रखने वाले लोग गरीब को भी किसी दिन इंसान के दायरे से बाहर कर देंगे, फिर Survival of the fittest, intraspecific हो जाएगा, मनुष्य भी किसी दिन threatened species की तरह संघर्ष करेगा, अभी homo sapiens species इतनी मजबूत हो गई है कि। अब और कोई प्रजाति इनका मुकाबला नहीं कर सकती, हकीकत तो ये है कि इन प्रजाति के बीच भी बहुत पहले से ही intraspecific competition शुरू हो गया है, इसका परिणाम स्वरूप आने वाले भविष्य में ऐसा होगा कि। इंसानों में से ही कुछ कमजोर वर्ग इंसान को इंसान के श्रेणी से बाहर हो कर दिया जायेगा। पृथ्वी पर घनत्व, नंबर, मास, बल, ऊंचाई, ये तय करते है कि कौन विलुप्त होगा और कौन जिंदा रहेगा,
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