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Saturday, June 8, 2019

काश तेरी बातो पर यकींन होता


काश तेरी बातो पर यक़ीन होता


काश तेरी बातो पर यकींन होता::
आई सी यू में लडकी


काश...!!
आई सी यू के बाहर काँच की खिड़की से अंदर देखते हुए आरुष की आंखों से लगातार ही आंसू बह रहे थे बेड पर जो लड़की अपनी मौत से इस वक़्त जंग लड़ रही थी वो कोई और नही उसका प्यार था वो पिछले कोई 5 साल से इस रिश्ते में था ..शादी करना चाहता था।।
उस दिन दोपहर बाद 3 बजे की बात को याद करते हुए आरुष की आंखों के आंसू फिर से बेलगाम हो के बह निकले।।
3 बजे के आसपास ही फ़ोन आया था दीपा का "हेलो आरुष मैं अपने ऑफिस के फ़्रेंड्स के साथ आज बाहर जा रही हु घूमने "
आरुष उस वक़्त अपने सिविल सर्विसेज की कोचिंग के लिए नोट्स वैगरह रख रहा था बैग में बस रेडी था जाने को--
"हेलो दीपा कितनी बार कहा है तुमसे तुम अपने उन वाहियात दोस्तो के साथ मत जाया करो वो मुझे बिल्कुल भी पसंद नही है"
दीपा का उधर से भन्नय हुआ जवाब आया "तुम्हे तो मैं ही नही अब पसंद हु हर बात पे रोकते टोकते रहते हो यह मत जाओ वहाँ मत जाओ इसके साथ मत जाओ उसके साथ मत जाओ में तो तंग आ गयी हु तुमसे हर बात पे ओवर रियेक्ट करते हो बात बात पे उल्टी सीधी बाते करने लगते हो मुझे बात ही नही करनी है तुमसे तुम्हारा रोज का ये नाटक हो गया है प्यार से तो बात करते ही नही ऊपर से इतनी बंदिशें "
इतना सब कुछ कहने के बाद उसने फ़ोन काट दिया।।
आरुष ने कॉल किया तो उसने काट दिया फ़ोन को एक दो बार कॉल लगाने के बाद उसने फ़ोन को रिसीव किया तो उसका लहज़ा बदल हुआ नही था
"दीपा सुनो तो मेरी बात देखो में तुम्हारे साथ वह नही हु तो मेरी ज़िम्मेदारी बनती है के में तुम्हे सही और ग़लत क्या है इसको पहचानने में तुंहरी मदद करु "
"प्लीज आरुष ये अपनी फिलॉसफी किसी और को सुनाना मुझे कोई बात नही करनी"
"हेलो यार दीपा बात तो सुनो अच्छा बताओ तो कौन कौन जा रहा है ... नंदिनी जा रही है साथ मे या नही "
"नही नंदिनी छुट्टी पे है... प्रीति जा रही है साथ मे बाकी पीयूष विक्रम और राहुल है "
"कहा जा रहे हो सारे" आरुष ने हार मानते हुए पूछा "हम लोग लांग ड्राइव पे जायेगे नोएडा एक्सप्रेस वे पर उसके बाद एक हाउस पार्टी है राहुल के फ्लैट पे "
"यार दीपा मुझे ये हाउस पार्टी और ये लांग ड्राइव कुछ समझ नही आता तुम लोग आस पास किसी मॉल में भी जा सकते हो "
"तुम कभी नही बदल सकते आरुष फिर वही के वही आ गए "
"तुम कभी नही बदल सकते आरुष कभी नही "
दीपा की आवाज़ गुस्से से भरी हुई थी
"अच्छा सुनो दीपा ठीक है जाओ लेकिन जल्दी आ जाना ज्यादा देर से मत आना वरना तुम तो जानती हो के दिल्ली का माहौल क्या है "
आरुष दीपा की ज़िद के आगे आत्म समर्पण करते हुए बोला।।
दीपा न भी कहा वो निकलते हुए उसे कॉल कर देगी ।।
जब से दीपा जॉब के लिए दिल्ली आयी थी तो आरुष और दीपा की बात बस फ़ोन पर ही हो पाती थी महीने में एक आधा बारी ही मिल पाते थे दीपा का स्वभाव चंचल था वो खूबसूरत भी थी इसलिए आरुष को उसको बहुत फिकर रहती थी इस वजह से ही आरुष दीपा पे बंदिशें लगाने की कोशिशें करता लेकिन अंतिम रूप से उसे दीप की ही बात माननी पड़ती थी हमेशा ।।
उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ था।।
आरुष ने जाने के लिए कह तो दिया लेकिन उसका मन नही लग रहा था उसने बैग उठाया और कोचिंग के लिए निकल गया आरुष अलाहाबाद में सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा था।।
अक्सर दीपा उससे इस बात पे झगड़ा करती थी के वो उसपे बंदिशें लगाता है आरुष हमेशा कहता के वो उसकी फिकर करता है इस वजह से ऐसा करता है लेकिन शायद दीपा के दिल पर दिल्ली के माहौल कुछ ज्यादा ही असर हो गया था वो अब बंदिशे बर्दाश्त नही कर पा रही थी और इसी बात को लेकर उनमे आये दिन झगड़ा होता रहता था।।
इधर दीपा अपने दोस्तों के साथ मस्ती में व्यस्त थी उधर आरुष का मन कोचिंग में बिल्कुल नही लग रहा था ।।
दीपा, राहुल ,विक्रम, प्रीति सारे राहुल की स्कोडा कार से एक्सप्रेस वे पर मौज मस्ती कर रहे थे राहुल ने विक्रम से कहा "विक्रम यार हम लोग वापस चलते है हमारे कुछ और दोस्त भी घर पर ववेट कर रहे है "
विक्रम ने भी हा में हां मिलाई और वो वापस चले दिए
रास्ते मे दीपा ने राहुल से कहा "राहुल मेरा हॉस्टल रास्ते मे पड़ेगा तुम छोड़ देना मुझे पार्टी नही करनी यार देर हो जाएगी"
इस बात पर राहुल ने उसका मजाक बनते हुए कहा "एक बात बताओ तुम आरुष को प्यार करती हो या उसकी गुलामी जब देखो तब वो बस हम लोगो के प्रोग्राम की ऐसी की तैसी कर देता है"
दीपा ने झेंपते हुए कहा"मैं किसी की गुलाम नही हु तुम ज्यादा न बोलो में इसलिए कह रही थी क्यों के कल आफिस में ज्यादा काम है तो जल्दी जाना है और कुछ नही "
"काम ज्यादा है तो मैं हु न मिल के कर लेंगे काम" राहुल ने कहा
"मैं हूं न हम लोग मिल के काम कर लेंगे" राहुल ने कहा तो दीपा ने कहा "नही राहुल रात ज्यादा हो जायेगी बात को समझो प्रीति तो तुम्हारे घर के पास ही रहति है उसका सही है जाना मुझे तुम रास्ते मे छोड़ते हुए चले जाना"
विक्रम ने बीच मे टोकते हुए कहा " मैं तुम्हे रास्ते मे छोड़ के अपने घर निकल जाऊंगा परेशान न हो "में भी आ जाऊंगा फालतू ही परेशान हो "बीच मे ही राहुल बोल पड़ा ।।
दीपा चुप हो गयी और उसने अपने फ़ोन को निकाल के एक कॉल आरुष को करनी चाही लेकिन फिर पता नही क्या सोच के फ़ोन को वापस रख लिया ।।
राहुल ने गाड़ी की स्पीड बढा दी और वो लोग लगभग आधे घंटे में राहुल के फ्लैट पे पहुच गएll
आरुष की क्लास 9 बजे छूटती थी लेकिंन मन न लगने की वजह से वो शाम 8 बजे ही कोचिंग से निकल गया रास्ते मे उसने न तो बस न ऑटो ही किया पैदल पैदल ही अपने रूम की तरफ चल दिया रास्ते मे चलते हुए वो बस दीपा के ही बारे में सोच रहा था उसने अपना फ़ोन निकाला और कॉल मिला दिया दो बार रिंग गयी लेकिंन फ़ोन रिसीव नही हुआ तो उसे मन ही मन गुस्सा आया लेकिन वह कुछ करने की स्तिथि में भी नही था सो फ़ोन वापस जेब मे रख लिया ।।
रास्ते मे चाय पीने की सोच कर वो चाय की टपरी की तरफ बढ़ गया चाय वाले को एक चाय के लिए कह के वो वह पड़ी हुई बेंच पे बैठ गया।।
मन अशांत था आरुष का... बार बार दीपा को सोच रहा था फ़ोन फिर निकाला और मिलाने लगा कॉल गयी तो लेकिन उधर से फ़ोन कट गया उसने ये सोच के फ़ोन दोबारा नही मिलाया के जब दीपा फ्री होगी तो खुद ही कॉल करेगी।।
तभी उसके फ़ोन पे कॉल आयी उसने सोचा दीपा होगी लेकिन फ़ोन उसके दोस्त अनुज का था अनुज ने उससे कहा "अरे आरुष तुझे याद नही क्या आज uppcs का फाइनल रिजल्ट आने वाला था भाई मैने अभी अपना रिजल्ट देखा है मेरी रैंक अच्छी तो नही कह सकते लेकिन हां मेरा सेलेक्शन हो गया है मुझे यकीन है भाई आरुष तेरा जरूर सेलेक्शन हुआ होगा और वो भी अच्छी रैंक पर क्यों के तूने बड़ी मेहनत की इस बारी"
आरुष दीपा को लेकर इतना चिंतित था के उस रिजल्ट वाली बात का कुछ याद ही नही रहा उसने अनुज से कहा "अनुज यार मैं अभी ही क्लास ड्राप करके निकला मुझे बिल्कुल याद नही रहा के आज रिजल्ट आने वाला है"
अनुज ने कहा "कोई नही तू अपना रोल नंबर मुझे मैसेज कर दे"
"तू अपना रोल नम्बर दे में अभी देख के बताता हूं " अनुज ने कहा तो आरुष ने अपना रोल नंबर उसे बात दिया फ़ोन कटने के बाद उसने चाय पीते पीते ही एक बार दीपा को फिर से कॉल किया लेकिन फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा था पता नही क्यों आरुष का मन आशंकाओ से भर उठा उसने चाय वाले को पैसे दिए और वह से निकल गया।।
रूम पे पहुँचा ही था के कॉल आ गया अनुज का "आरुष मेरे भाई कमाल कर दिया तूने भाई तेरी रैंक 124 है भाई अभी आ रहा हु रूम पे तेरे हैम लोग बाहर खाना खाएंगे और संगम किनारे घूम केे आएंगे " आरुष ने हामी भर दी और तुरंत ये खबर अपने मम्मी पापा को दी तो पूरे परिवार और उसके गांव में खुशी की लहर दौड़ गई सभी खुश थे पूरा गांव आरुष के घर बधाई देने आ रहा था ।।
अनुज ने आरुष के हॉस्टल के बाहर से ही कॉल किया "भाई में नीचे हु आ जा जल्दी से बड़ी भूख लगी है " आरुष ने बस दो मिनट में पहुचने की बात कह के फ़ोन काट दिया।।
आरुष अपनी क़ामयाबी की खबर माँ बाप के बाद जिसको बताना चाह रहा था वो उसकी दीपा ही थी लेकिन दीपा की कॉल न लगने की वजह से वो उसे बात नही पा रहा था बड़ी बेचैनी सी हो रही थी आरुष को अब उसे फिकर होने लगी थी के वो कहा होगी क्या कर रही होगी कुछ ऐसा वैसा तो नही हुआ होगा मन मे विचारों की आंधिया लिए हुए आरुष अनुज के पास पहुचा तो वो बाइक लिए खड़ा था।।
"क्या भाई लड़कियों की तरह कितना टाइम लगाते हो"आरुष ने बस मुस्कुरा के उसके मजाक उत्तर दिया और बाइक के पीछे बैठ गया।।
अनुज ने बाइक एक रेस्टोरेंट के बाहर रोकी और दोनों अंदर चले गए, खाना आर्डर करने के बाद दोनों अपने रिजल्ट और अन्य सहपाठियों के रिजल्ट पर चर्चा करने लगे इसी बीच खाना टेबल पर आ गया ।।
खाना खाने के बाद दोनों ही संगम किनारे टहलने निकल गए, चांदनी रात में चमकती हुई संगम के रेत में दोनों बैठ के बातें करने लगे आरुष का मन अब भी दीपा की तरफ ही लगा हुआ था उसकी परेशानी अनुज को भी साफ दिख रही थी, उसने पूछ ही लिया "क्या बात है आरुष आज इतना अच्छा दिन है हम लोगों की ज़िन्दगी का और तुम आज भी परेशान से दिख रहे हो क्या बात है दीपा से कुछ झगड़ा हुआ है क्या" आरुष ने पहले तो बात को टालमटोल किया लेकिन उसके बार बार पूछने पर अपनी परेशानी का सबब और पूरे घटनाक्रम को बता दिया ।।
आरुष ने सारी बात अनुज को बतायी तो अनुज ने उसे सांत्वना देते हुए कहा"परेशान न हो भाई वो ऑफिस के ही लोगो के साथ है फ़ोन ऑफ आ रहा है शायद चार्ज नही कर पाया होगा तो बंद जा रहा है तू टेंसन न ले चल अब मैं तुझे भी रूम पे ड्राप करके निकल जाता हूं 11 बज गया है भाई " आरुष ने मोबाइल पे टाइम देखा तो 11 बज चुके थे फ़ोन साइलेंट पे था उसको बधाई देने वालो की ढेर सारी मिसकॉल पड़ी थी उन इतने सारे कॉल में जिसकी कॉल वो चाहता था के हो उसे नही दिखी।।
अनुज ने आरुष को उसके हॉस्टल ड्राप किया और अपने रूम के लिए निकल गया ,आरुष परेशान मन से अपने रूम के अंदर दाखिल हुआ और फोन निकल के फिर कॉल किया फ़ोन अब भी स्विच ऑफ आ रहा था 12 बज रहा था उसकी बेचैनी लगातार बढ़ रही थी इससे पहले ऐसा कभी नही हुआ था, उनमे झगड़ा भी तो थोड़ी देर बाद फ़ोन आ ही जाता था दीपा का।।
उसको ध्यान आया के उसके पास प्रीति का भी नंबर है फ़ोन की कांटेक्ट लिस्ट में जाकर उसने प्रीति को कॉल लगाया एक बार मे रिंग जाने पे फ़ोन नही उठा तो उसने दोबारा कॉल किया फ़ोन उठा तो उधर से प्रीति की उनींदी सी आवाज़ सुनाई दी "हेलो कौन इस टाइम पे नींद खराब कर रहा है "
"हेलो मैं आरुष बोल रहा हूं प्रीति यार दीपा का कॉल नही लग रहा है मैंने उससे कहा भी था कि निकले के कॉल कर दे में बहुत देर से ट्राय कर रहा हु फ़ोन बन्द जा रहा है" आरुष की आवाज़ से बेचैनी और दीपा के लिए फिक्र साफ दिख रही थी ।।
"आरुष दीपा तो 10 बजे के आस पास ही निकल गयी थी हम लोगों ने उसकी वजह से जल्दी पार्टी खत्म कर दी थी वो कह भी रह थी तुम्हारे लिए की तुमने उसे जल्दी आने को कहा था और आज कोई रिजल्ट आने वाला था तुम्हारा तो उसके बारे में भी बात कर रही थी तुमसे शायद झगड़ा हुआ था उसका तो अपसेट भी थी और ऊपर से राहुल ने नितिन को भी इनवाइट किया था इस बात पे भी वो खुश नही थी " प्रीति ने इतना कुछ बताया तो नितिन का नाम सुन के आरुष भी गुस्से से भर गया "कहा था मैंने दीपा को मत जाये मुझे ऐसे ही लोगो का साथ बिल्कुल भी पसंद नही है खैर तुम बताओ क्या पार्टी में ड्रिंक तो नही किया किसी ने "
"लड़के कर रहे थे हम लोग नही और हाँ 10 बजे के आस पास राहुल विक्रम और नितिन उसे छोड़ने के लिए निकले थे" प्रीति ने बताया।।
प्रीति के इतना सब कुछ बताने के बाद आरुष को पता नही क्यों ऐसा लग के कुछ अच्छा नही हो रहा है प्रीति से उसने राहुल का नंबर लिया और उसे कॉल किया तो उसका भी फ़ोन रिंग जाती रही लेकिन उठा नही ।। के बार ट्राय किया लेकिन फोन उठ नही रहा था।। फ़ोन मिलाते हुए ही पता नही उसे कब नींद आ गयी ।।।
आरुष का फ़ोन बजा तो उसने सामने लगी दीवार घड़ी पे टाइम देखा तो सुबह के 6 बज रहे थे फ़ोन प्रीति का था उसने फ़ोन रिसीव किया तो उधर से प्रीति की बहुत घबराई हुई सी आवाज़ आई प्रीति ने आरुष से पूछा" क्या बात हुई है दीपा तुम्हारी" इस पर आरुष ने कहा "नही प्रीति मेरी तो नही हुई तुम इतना घबराई सी क्यों हो क्या हुआ है बताओ तो"
प्रीति ने कहा " आरुष बात मुझे भी नही पता क्या हुई है लेकिन मैंने सबके नंबर मिला के देख लिए किसी का नही लग रहा न राहुल, विक्रम, दीपा का न ही उस नितिन का " आरुष ने बेचैनी भरे स्वर में कहा "प्रीति तुम पता करो में भी यह से ट्रेन से निकल रहा हु में शाम तक पहुच जाऊंगा अगर कुछ पता चले तो तुम मुझे फ़ोन जरूर कर देना" प्रीति ने ठीक है बोल के फ़ोन रख दिया।।
आरुष ने फ़ोन पे ट्रैन चेक की अगली ट्रेन 8 बजे की थी उसने तुरंत ही बिस्तर छोड़ दिया और फ्रेश होने चला गया।।नहा के वापस जब आया तो उसके फ़ोन पे प्रीति और नंदिनी के दो कॉल पड़े हुए थे उसने तुरंत ही प्रीति को कॉल किया "हेलो आरुष तुम निकले या नही " प्रीति ने हड़बड़ाई हुई आवाज़ में पूछा "हाँ प्रीति बस निकल रहा हु 8 बजे की ट्रेन है क्यों क्या हुआ तुम इतना घबराई हुई क्यों हो क्या हुआ कुछ बात पता चली है क्या फ़ोन मिला उसका या राहुल का " उसकी बेचैनी बढ़ती जा रही थी वो लगभग चिल्ला के ही बात कर रहा था।।
"आरुष तुम आ जाओ बस और हां परेशान नही होना में और नंदिनी और हमारे घर वाले भी उन लोगो को ढूंढने में लगे है पुलिस में भी कंप्लेन कर दी है दीपा के घर वालो को भी खबर कर दी है वो लोग भी लखनऊ से निकल चुके है"
"में बस निकल रहा हु प्रीति प्लीज अगर कुछ भी पता चले तो तुरंत ही इन्फॉर्म करना "इतना कह के उसने फ़ोन को काट दिया और इलाहाबाद जंक्शन के लिए निकल गया ।।
कोई 8 घंटे का सफर करने के बाद आरुष शाम लगभग 5 बजे तक वो गाज़ियाबाद स्टेशन पहुँचा वहाँ से उसने प्रीति को कॉल किया तो उसने उसे बताया कि वो सीधे फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा सेक्टर 63 चला आये ।।
किसी अनहोनी की आशंका से मन विचलित हो उठा उसने पूछा भी प्रीति से तो उसने कुछ भी कहे बिना फिर यही कहा वो हॉस्पिटल ही आये सब बात वहाँ ही होगी।।
ऑटो लेकर वह हॉस्पिटल पहुच गया तो उसने प्रीति नंदिनी और उनके मम्मी पापा को देखा दीपा के माँ पापा भी पहुच चुके थे जैसे ही वो अंदर दाखिल हुआ प्रीति की आंखों से आंसू निकलने लगे कुछ यही हाल कमोबेश नंदिनी और वहाँ पे मौजूद और लोगों का भी था।।
सबसे पहले उसने प्रीति से पूछा "क्या हुआ है दीपा को तुम सब रो रहे हो वो ठीक तो है ना" बदहवास सी आवाज़ में वो हर किसी के पास जा के यही पूछ रहा था
"अंकल आप बताओ न क्या हुआ दीपा को प्लीज ऐसे तो चुप न रहिये प्लीज बोलिये न" दीपा के पापा से वो पागलो की तरह ही पूछ रहा था।।
"अरे सब गूंगे हो गए हो क्या कोई कुछ बोलता क्यों नही " उसने लगभग पागलों की तरह ही तेज़ आवाज़ में कहा और रोने लगा।।
प्रीति के पास जा के उसने कहा "तुम तो प्लीज प्रीति चलो मुझे दीपा के पास ले चलो प्लीज " प्रीति उसके गले लग के जोर जोर से रोने लगी नंदिनी भी पास आई और आरुष की पीठ पे हाथ रख के उसको सांत्वना देने लगी लेकिन आंसू उसके भी नही रुक रहे थे।।
प्रीति ने आरुष को लेकर 2 सरे माले पर आई सी यू में लेकर गयी उसने कहा दीपा यही है डॉक्टर अंदर है और ऑपरेशन कर रहे है इस पर आरुष ने फिर बेचैनी से पूछा कि "आखिर दीपा के साथ ऐसा क्या हुआ जो उसे यह हॉस्पिटल लाना पड़ा तुम प्लीज बताओ न प्लीज बताओ मुझे बहुत बेचैनी हो रही है ।।
प्रीति ने बताया " कल पार्टी खत्म होने के बाद राहुल , विक्रम जब दीपा को छोड़ने के लिए अपनी कार से निकले ही थे कि नितिन ने कहा "राहुल यार तुम मुझे भी रास्ते मे ड्राप कर देना में कुछ ज्यादा ही ड्रिंक कर ली है तो बाइक से जाना सही नही है कल तुम बाइक को ऑफिस लेते आना" राहुल ने उसे भी साथ ले लिया ।।
घर से थोड़ा सा आगे निकलने के बाद ही नितिन ने कहा राहुल तुम लोग अकेले ही लांग ड्राइव पे हो के आ गए मुझे नही घुमाया चलो प्लीज भी एक राउंड मेरे साथ बस 5 किलोमीटर"
प्रीति ने आगे बताया " असल मे तीनो ही नशे में थे और नितिन की जिद के आगे राहुल को झुकना पकड़ा दीपा ने बहुत मना किया और कहा के वो ऑटो से चली जायेगी रहने दो तुम लोग जाने को साथ तुम लोग जाओ लांग ड्राइव पर लेकिन न ही राहुल ने गाड़ी रोकी और न ही उन दोनों ने ही कुछ सुना दीपा बार बार कहती रही लेकिन इन लोगो ने आगरा एक्सप्रेस वे की ओर गाड़ी घुमा दी ।।
हाइ वे पर एक ढाबे के किनारे गाड़ी खड़ी करके ये लोग फिर से कुछ बियर और खाने को लेकर आये वही कार में बैठ के पीने लगे दीपा ने मना किया और घर चलने को कहा लेकिन वो अपनी मन कि करते रहे।।
जब तीनो ही भयंकर नशे में हो गए तो गाड़ी फिर इन्होंने आगे की तरफ बढा दी नितिन बार बार दीपा को नशे में आई लव यू बोलने लगा तो दीपा ने राहुल से कहा राहुल आज के बाद में कभी तुम लोगो के साथ नही आउंगी और इस घटिया इंसान का तो मैं चेहरा भी नही देखना चाहती इस पर राहुल ने उसे कहा के क्या है ऐसा खास आरुष में जो हम लोगो में नही है क्यों तुम बस उसकी वजह से हम लोगो की बेइज़्ज़ती करती रहती हो हम लोगो की भी फीलिंग्स है हम लोग भी प्यार कर सकते है तुम्हे और उससे कही ज्यादा ऐशो आराम की ज़िंदगी मुहैया करवा सकते है ।।
राहुल के मुह से ये सब सुन के उसे एक जोर से झटका लगा उसे अब खुद पे गुस्सा आ रही थी क्यों उसने आरुष की बात नही मानी उसने राहुल से कहा प्यार एक से होता हर किसी से नही और तुम अब गाड़ी पीछे की तरफ ले के चलो बहुत हो गया तुम लोगो का नाटक वरना मैं अभी पुलिस को कॉल करुँगी फिर।।
दीपा ने पुलिस की धमकी दी तो तीनों ही ठहाका मार के हसने लगे "पुलिस बुलाएगी नितिन देखा भाई मुझे नखरीली लड़कियाँ बहुत पसंद है" राहुल के मुँह से ऐसे शब्द सुन के दीपा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई वो अब सच मे ही बहुत डर गई थी नितिन उसके साथ गंदी छेड़खानी करने लगा तो वो रोने राहुल से भी कहा कि वो उसे वहाँ से लेकर चले और उसके हॉस्टल छोड़ दे लेकिन राहुल ने उसकी बात नही सुनी और हसते हुए नितिन से कहा "भाई मैंने अपनी दोस्ती निभा दी है आगे अब तेरी मर्जी जो चाहे कर तू" ऐसा सुन के दीपा को अब हर बात समझ मे आ रही थी ये उन तीनों की प्लानिंग थी जो के शायद कई दिनों से चल रही थी ।।
राहुल के इतना कहते ही नितिन ने उससे गाड़ी कही सुनसान जगह पर रोकने को कहा।। राहुल ने गाड़ी को हाई वे से नीचे उतार कर एक सुनसान रोड की तरफ बढ़ा दी नितिन बार बार दीपा से आरुष के साथ को छोड़ने के लिए कह रहा था और ऐसा न करने पर वो उसका ऐसा हश्र करेगा कि किसी को मुह नही दिखा पाएगी धमकी दे रहा था ।।
राहुल भी उसकी हाँ में हाँ मिला रहा था और नितिन को उकसा भी रहा था ।। राहुल ने गाड़ी जैसे ही सुनसान जगह पे रोकी तो दीपा गाड़ी से निकल के भागने लगी लेकिन विक्रम ने उसे दबोच लिया।। नितिन के ऊपर शराब का नाश अब बहुत ज्यादा ही हावी हो गया था उसने राहुल से कहा "ये ऐसे नही मानेगी इसको इसकी औकात दिखानी ही पड़ेगी " इतना कह के वो दीपा के ऊपर टूट पड़ा उसने उसके कपड़े फाड़ने शुरू कर दिए जिसमे राहुल और विक्रम ने उसका साथ देना शुरू कर दिया।
दीपा तीनो से ही रहम की भीख मांग रही थी इसी बीच दीपा के फ़ोन पे तुम्हारी कॉल आयी थी आरुष जिसको राहुल ने काट दिया और फ़ोन स्विच ऑफ करके वही झाड़ियों में फेंक दिया ।।
दीपा लगातार रोते हुए रहम के लिए चिल्ला रही थी लेकिन उसे सुनने वाला कोई नही था फ़ोन आने की वजह से राहुल और विक्रम का ध्यान थोड़ा सा इधर उधर हुआ और नितिन की पकड़ कुछ ढीली हुई दीपा ने पूरी ताकत से नितिन को धक्का दिया और भागने लगी बिना इस बात की परवाह किए की वो उस वक़्त अर्धनग्न ही थी क्यों के उसके सारे कपड़ो को नितिन और उन दरिंदो ने तार तार कर दिया था ।।
वो सुनसान सड़क से हाई वे की तरफ भागी जा रही थी।।
भागते हुए दीपा जैसे ही हाई वे पर पहुँची उसे किसी तेज़ रफ़्तार गाड़ी ने जोरदार टक्कर मार दी और वो सड़क से नीचे झाड़ियों में जा गिरी वो तीनो पीछे से भागते हुए आये जब उन्होंने ये देखा तो डर के अपनी गाड़ी ले कर वहा से भाग गए रात भर वो उसी नग्न हालात में घायल उन झाड़ियों में पड़ी रही।।
सुबह बगल के किसी गाँव वाले ने देख के पुलिस को खबर की वो उसे उठा के मथुरा के जिला अस्पताल ले गए ।। नोएडा पुलिस को मथुरा पुलिस ने उस बात की खबर दी नोएडा पुलिस उसे लेकर यहाँ आये तो इन लोगो ने हमे खबर की और शिनाख्त के लिए बुलाया जब हम लोगो ने उसे इस हालत में देखा तो इसे लेकर यहां फोर्टिस हॉस्पिटल में एडमिट कराया सुबह इलाज मिलने के बाद उसे होश आया तो उसने सारी बात बताई और पुलिस के सामने बयान दिया है डॉक्टरों ने बताया है उसके दोनों पैर और कमर में फ्रैक्चर हुआ है पसलियां टूट के फेफड़ो में धस गयी जिसकी वजह से सांस लेने में भी उसे दिक्कत है डॉ ऑपरेशन कर रहे हैं।।
प्रीति बताते हुए और आरुष सुनते हुए दोनों की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे, डॉक्टर आई सी यू बाहर निकलता है तो दोनों उसकी तरफ बढ़ते हैं डॉक्टर ने बताया के वो ऑपरेशन कर चुका है दीपा की हालत अभी भी नाजुक है 24 घंटे बीतने के बाद ही कुछ कह सकता हु होश में आने पे आप मिल सकते हो उससे।।
इस बीच पुलिस इंस्पेक्टर आ के प्रीति को किसी जरूरी फॉर्मेलिटी की लिए कॉल करता है और साथ मे उन तीनों के आगरा से गिरफ़्तार करने की बात भी बताता है।
नर्स ने आरुष को बताया के दीपा को होश आया गया है मिल ले बस 2 मीनट का टाइम दिया उसे वो भाग के उसके पास गया दीपा ने उसे देखा तो उसकी आंखों में सैलाब आ गया दोनों ही बस रोये जा रहे थे आरुष ने उसे कहा के उसे कुछ नही होगा वो जल्दी ठीक हो जायेगी और उसके बाद वो शादी करके एक दुनिया बसायेंगे अपने रिजल्ट और सेलेक्ट होने की बात भी बताई ।।
लेकिन दीपा बस उससे इतना ही कह पायी #काश..!!! आरुष मैंने तुम्हारी बात मान ली होती और वो फिर बेहोश हो गयी
आरुष ने डॉ को बुलाया डॉ ने उसे बाहर जाने को कहा वो वापस आके कांच से अंदर अपने प्यार को मौत की जंग लड़ते हुए देख रहा था

कुछ 15 मिनट के बाद जब डॉ वापस आया तो उसके सॉरी बोलनेे का साफ मतलब था कि दीपा मौत से हार गयी थी और आरुष अपने प्यार को हार चुका था।।

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