Wikipedia

Search results

Thursday, April 27, 2023

तजुर्बा और कांफिडेंस

अब आदमी समय के उस पड़ाव में आ गया है कि जब कभी कुछ चीजें जिन्दगी को डिस्टर्ब करतीं हैं। या कोई समस्या होती है! तो आदमी साइलेंट मोड में आ जाता हैं। और एकान्त में बैठकर जिन्दगी में चल रही उथल पुथल को बैलेंस करने की कोशिश करता है। कभी कभी लगता हैं एकान्त ही समस्याओं का निदान है। अब किसी से राय ने लेकर खुद की विचारधारा पे आगे बढ़ने में ही सुकून लगता है। कहीं न कहीं ऐसा लगता हैं उम्र के साथ हमारे अन्दर कॉन्फिडेंस कि कमी नहीं रह गयी है अब। अब ख़ुद कि विचारो पे विश्वास होने लगा हैं। ऐसा लगता हैं जिन्दगी को करीब से समझने के बाद कांफिडेंस की कमी नहीं रह जाती हैं‌। तजुर्बा कांफिडेंस कि जननीं हैं। अब लगने लगा है 

Tuesday, April 4, 2023

बीतते वक्त

सुख के लम्हें तक के पास 
पहुँचते पहुँचते‌  हम उन लोगों से
जुदा हो जाते हैं,
जिनके साथ हमनें दुख झेलकर
सुख का स्वप्न देखा था।

Wednesday, March 8, 2023

बेरंग मन रंगीन हवाये

क्या क्या छिन लेती है जवानी होली और दिवाली बचपन की खुशियां गांव की गलियां मोहाले और बस्ती । बरसात की पानी और कागज की कस्ती।  मां के हाथों का पकवान अपनों के हाथों का गुलाल। हेनडमैड पिचकारीया। बचपन की दोस्ती गलियों की मस्ती। अपने और खिलौने सब छिन लेती है। सोचता हूं   जैसे जैसे हम संभलते है इक इक चिज छिन ली जाती हैं हमसे।  सबसे लास्ट बार छिनी गयी थी कालेज की बैग तब से रंगीन जिन्दगी बेरंग सी हो गयी।।   अब तो होली पे भी रंग फिका ही रहता हैं। जबसे बचपना गया होली रंगीन न हुई।।।