हर अधूरी कहानी घर लौट रही है। उन्हें याद करते जो छूट गई बरसो पहले। चौक, चौराहा, कॉलेज, स्कूल। खेत, खलिहान, अकेला मकान। वो सारे जो अतीत की स्मृति में सिमट गई है। त्योहारे अक्सर जागृत कर जाती है।अतीत की स्मृति को।
Motivational blog, Psychological, thoughts, short stories, Poetry, Novels, inspirational quotes,
Wikipedia
Search results
Saturday, October 12, 2024
स्मृतियां और लौटते हुऐ लोग
मेट्रो, रेलवे, बस स्टैंड, हर जगह बढ़ते भीड़ ये बता रहे है। की लौटना ही पड़ता है स्मृति में सुकून के लिए एक अंतराल के बाद।
Sunday, August 25, 2024
मुझे याद है
बहुत कुछ भुला देने के बाद भी
मुझे याद आता है
छप्पर का वह पुराना घर
जिसमें सिर्फ एक ही दरवाजा था
और वह, अंदर की तरफ खुलता था। ईट की बनी हुई दिवारे थी। और घिस गई थी। हर बारिश के बाद ऊपर से पानी रिसने लगता था.! टप टप कर के नीचे जमी हुई पानी में मिल जाता था।
Wednesday, August 7, 2024
Dictatorship and democracy
The protection of democracy lies in the hands of the youth, if any country youth to be avoid to express noise of democracy and freedom of speech due to fear of government, democracy turn into dictatorship,
Friday, January 12, 2024
कोई सुनता कया असफल लोगो की संघर्ष की कहानियां
छात्रों का संघर्ष बस छात्रों के कमरे की दीवार ही देख पाई है। कहा देख पाती है दुनिया दुनिया का सबसे बड़ा संघर्ष। दुनिया बस देखा है सफल और असफल इंसान। कहा देखी है, फटी चढ़ी और बनियान में 13 छेद, टूटी चापले, खाने के नाम पर महीनो खिचड़ी और चाय, कहा देखी हैं दुनियां। अधूरे बिस्तर में अधूरे नींद, भूखे पेट और अकेलापन, कमरे का कोना किताबे, ख्वाब और जिमेदारिया. चंद रूपयो में महीनो गुजारना चंद सिक्को के लिए मिलो पैदल चले जाना और उन पैसों से किताबे खरीदना। मिडल क्लास लड़को का कोई पीड़ा देखा है तो ओ है। छात्र जीवन की कमरे की दीवारें और किताबो के पन्ने वही गवाह है। एक सफल और असफल छात्रों की संघर्ष की कहानी कि। वही सुना सकते है मिडिल क्लास छात्रों की संघर्ष की कहानियां। कहानियां तो बहुत हैं संघर्ष की। लेकिन कोई सुनता कया असफल लोगो की संघर्ष की कहानियां। बस जो सफल हो गए उनकी कहानियां लिखी गई, और जो असफल रह गए उनकी कहानियां किताबो के पाने और कमरे के दीवारों में दफन हो गई.। और फिर वो सुनाते रहे सफल लोगों की कहानियां एक दूसरे को और उनका संघर्ष एक अधजली शामशान बनकर अंदर ही जलती रही तूफानों में।
Subscribe to:
Posts (Atom)