छात्रों का संघर्ष बस छात्रों के कमरे की दीवार ही देख पाई है। कहा देख पाती है दुनिया दुनिया का सबसे बड़ा संघर्ष। दुनिया बस देखा है सफल और असफल इंसान। कहा देखी है, फटी चढ़ी और बनियान में 13 छेद, टूटी चापले, खाने के नाम पर महीनो खिचड़ी और चाय, कहा देखी हैं दुनियां। अधूरे बिस्तर में अधूरे नींद, भूखे पेट और अकेलापन, कमरे का कोना किताबे, ख्वाब और जिमेदारिया. चंद रूपयो में महीनो गुजारना चंद सिक्को के लिए मिलो पैदल चले जाना और उन पैसों से किताबे खरीदना। मिडल क्लास लड़को का कोई पीड़ा देखा है तो ओ है। छात्र जीवन की कमरे की दीवारें और किताबो के पन्ने वही गवाह है। एक सफल और असफल छात्रों की संघर्ष की कहानी कि। वही सुना सकते है मिडिल क्लास छात्रों की संघर्ष की कहानियां। कहानियां तो बहुत हैं संघर्ष की। लेकिन कोई सुनता कया असफल लोगो की संघर्ष की कहानियां। बस जो सफल हो गए उनकी कहानियां लिखी गई, और जो असफल रह गए उनकी कहानियां किताबो के पाने और कमरे के दीवारों में दफन हो गई.। और फिर वो सुनाते रहे सफल लोगों की कहानियां एक दूसरे को और उनका संघर्ष एक अधजली शामशान बनकर अंदर ही जलती रही तूफानों में।