हर बार कुछ भी वैसा नहीं होता।

हर बार कुछ नया दिखता है। कुछ पुराने के साथ। बच्चे बड़े हो जाते है, बड़े के चेहरे पे झुरिया आ गई होती है। बूढ़े और झुक गए होते है, पौधा पेड़ बन गया होता है, छोटे बरगद, पीपल, नीम, सब बड़े वृक्ष में तब्दील हो गए होते है, कुछ पुराने पेड़ कट चुके होते है। समय के साथ सब कुछ बदल चुका होता है। हर बार कुछ पुराने लोग पुराने वृक्ष खत्म हो चुके होते है, समय के समृद्धियों में ये दफन होते लोग जो हर बार नहीं मिलते जो पिछले बार मिले थे। एहसास दिला जाते है। अपने खुद के चेहरे की रूप, ढलते उमर की एहसास, और जीवन का अंतिम लक्ष्य, जो व्यस्त जीवन में ठीक से देखने का मौका तक नहीं मिलता, गांव से जाने और हमेशा के लिए वापस आने तक, बहुत कुछ बदल चुका होता है, जैसे चमकते चेहर और सिल्की बॉल, झुरिया, पक्के बालों और झूलती मांशपेशियों में तब्दील हो गई होती है। कितनी निराधार है भविष्य की कल्पनाएं। 

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