मैं तुम्हारे बारें में लिखना चाहता हूँ।
तुम्हारी आँखों में दिखना चाहता हूँ।।
भले अनमोल हूँ दुनियाँ की नज़रों में।
मगर तुम्हारे हाथों बिकना चाहता हूँ।।
मुसलसल मैं बिखर रहा हूँ रेज़ा रेज़ा।
तुम्हारे इश्क़ में सिमटना चाहता हूँ।।
मैं बहुत दिनों से उदास और तन्हां हूँ।
मैं कुछ देर तुमसे लिपटना चाहता हूँ।।
तुम दम्भ भरते हो अपनी बहादुरी का।
आजाओ मैं तुमसे निपटना चाहता हूँ।।
कर लेता हूँ टूटी फूटी शायरियाँ यारों।
बहुत कुछ मैं अभी सीखना चाहता हूँ
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