मेट्रो, रेलवे, बस स्टैंड, हर जगह बढ़ते भीड़ ये बता रहे है। की लौटना ही पड़ता है स्मृति में सुकून के लिए एक अंतराल के बाद।
हर अधूरी कहानी घर लौट रही है। उन्हें याद करते जो छूट गई बरसो पहले। चौक, चौराहा, कॉलेज, स्कूल। खेत, खलिहान, अकेला मकान। वो सारे जो अतीत की स्मृति में सिमट गई है। त्योहारे अक्सर जागृत कर जाती है।अतीत की स्मृति को।