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Sunday, September 6, 2020

मन नही करता है


 मन नही करता

कभी नींद आती थी..
आज सोने को “मन” नही करता, है
कभी छोटी सी बात पर आंसू बह जाते थे..
अब तो रोने तक का “मन” नही करता, है
जी करता है लूटा दूं खुद को या लुटजाऊ खुद पे
 अब तो जीने का “मन” नही करता, है
पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को किसी से
लेकिन आज मुह खोलने को “मन” नही करता, है
कभी दुसरे के दर्द को बंटते थे 
अब तो खुद का दर्द ही महसूस नहीं होता है
कभी मीठी यादें कड़वी बातें  ख्वाब हकीकत सब याद आते थे
अब तो  सोचने को  भी“मन” नही करता, है
मैं कैसा था? और कैसा हो गया हूं
अब तो जीने का भी मन नहीं करता है
कभी इक बार भागते थे तो मिलो दुर नाप आते थे
अब तो चलने से भी डर लगता है
कभी सोचते थे भागने है बड़ी दुर तक
लेकिन आब तो यह भी सोचने को “मन” नही करता। है
आज कल दिल बहुत डरता है क्या कहू  
अब कुछ मन नहीं करता है"अब मन नहीं करता है

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