(Vinod kushwaha) Born in Eastern UP, a microbiologist by profession and unseen storyteller by soul, I walk where science and literature walk the dusty roads together, weaving unseen stories.
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हर बार कुछ भी वैसा नहीं होता।
हर बार कुछ नया दिखता है। कुछ पुराने के साथ। बच्चे बड़े हो जाते है, बड़े के चेहरे पे झुरिया आ गई होती है। बूढ़े और झुक गए होते है, पौधा पेड़ ...
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छात्रों का संघर्ष बस छात्रों के कमरे की दीवार ही देख पाई है। कहा देख पाती है दुनिया दुनिया का सबसे बड़ा संघर्ष। दुनिया बस देखा है सफल और अस...
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पुराने जगहों पे पुरानी चीजें ही। अतीत को याद दिलाती है। अगर पुरानी चीजें पुरानी जगह से सब कुछ बदल जाए तो। मान लेना चाहिए कि आप वहां कभी गए ...
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बोझ : अपनों का बोझ भी क्या बोझ होता है विनोद कुशवाहा २८-३-२०११९ बड़ी कठिनाई से मैं अपनी गृहस्थी चला पा रही थी. तभी 3 बच्चों का बोझ ...



