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Sunday, March 24, 2019

हमारी सोच हमे बिन वजह बेचैन करती है

एक व्यक्ति का घर शहर से दूर एक छोटे से गाँव में था। उसके घर में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। लेकिन फिर भी वो खुश नहीं रहता था। उसे लगता था की शहर की जिंदगी अच्छी है। इसलिए एक दिन उसने गाँव के घर को बेचकर शहर में घर लेने का फैसला किया। अगले ही दिन उसने शहर से अपने दोस्तों को बुलाया। जो रियल स्टेट में काम करता था।
उसने अपने दोस्त से कहा – तुम मेरा ये गाँव का घर बिकवा दो, और मुझे शहर में एक अच्छा सा घर दिलवा दो। उसके दोस्त ने घर को देखा और कहा – तुम्हारा घर इतना सुन्दर है। तुम इसे क्यों बेचना चाहते हो। अगर तुम्हे पैसों की जरुरत है तो मैं तुम्हे कुछ पैसे से सकता हूँ। उस व्यक्ति ने कहा – नहीं नहीं मुझे पैसों की जरुरत नहीं है।
मैं इस घर को इसलिए बेचना चाहता हूँ। क्योकि ये घर गाँव से बहुत दूर है। यहां पर शहर की तरह पक्की सड़के भी नहीं है। यहाँ के रास्ते बहुत ही ऊबड़ खाबड़ है। यहाँ पर बहुत सारे पेड़ पौधे है। जब हवा चलती है तो पुरे घर में पत्ते फैल जाते है। ये गाँव पहाड़ो से घिरा हुआ है। अब तुम ही बताओ मैं शहर क्यों न जाऊ।
उसके दोस्त ने कहा – ठीक है। अगर तूने शहर जाने का सोच ही लिया है। तो में जल्दी ही तुम्हारे इस घर को बिकवा दूँगा। अगले ही दिन सुबह के समय वह व्यक्ति अखबार पढ़ रहा था। उसने अखबार में एक घर का विज्ञापन देखा। विज्ञापन में लिखा था।
शहर की भीड़ भाड़ से दूर, पहाड़ियों से घिरा हुआ, हरियाली से भरा हुआ, ताजी हवा युक्त एक सूंदर घर में बसाये अपने सपनो का घर। घर खरीदने के लिए निचे दिए गए नंबर पर संपर्क करे। उस व्यक्ति को विज्ञापन देखते ही घर पसंद आ गया। उसने उस घर को खरीदने का मन बना लिया 
उसने जब उस नंबर पर फोन किया तो वो हैरान रह गया। क्योकि ये विज्ञापन उसी के घर का था। यह जानकार वह ख़ुशी से झूम उठा। उसने अपने दोस्त को फोन लगाया और कहा – मैं तो पहले से ही अपने पसंद के घर में रह रहा हूँ। इसलिए तुम मेरा घर किसी को मत बेचना। में यही रहुँगा।

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