Wikipedia

Search results

Sunday, July 6, 2025

आदमी बिन पैरों वाला

 कभी कभी कुछ चीजें आंखों के सामने आती है तो गहरा अनुभव दे जाती है। यू एक शहर से गुजर रहा था। तो मेरी नजर एक आदमी पे पड़ी। पैरों में लंबी पट्टी लपेटा हुआ था। चलने में अस्मर्थ था। हाथों के बल चल रहा था, दुबला पतला सा इंसान। ऐसे बहुत लोग नजर आ जाएंगे आपको जो दिखते हुए किसी को दिखाई नहीं देते। न समाज के ठेकेदारों को न सरकारों को, मै सोचा इस व्यक्ति के पास धैर्य कितना होगा। जो जी रहा है। और उम्मीद किस बात की जीने की या कुछ करने की। और होगा कौन इसके जीवन में। जो सड़ गल गए पैर पे इस हालत में रोड पे रेंग रहा है। ये आदमी कौन होगा। चलते जा रहा था। देखा एक दुकान वाले ने तरस खा के थोड़ी से चावल और पानी दे दिए। खाने को शायद ऐसे ही जी रहा होगा। ये आदमी।  आए दिन आत्महत्या की खबर आती रहती है। उनके पास इससे खराब स्थिति तो होगी नहीं। फिर भी जीवन से चले जाते है लोग उमर से पहले। शायद ये इंसान इस लिए जी रहा होगा की ये ऐसी ही जीवन जीते देखा है औरों को। कही न कही ये भिखारी ही रहा होगा। वर्ना किस के पास हिम्मत होती। ऐसी जीवन जीने की। जीवन कभी भी कोई रूप ले सकती है। चाहे आप कितने भी अमीर क्यों नहीं हो गए हो वापस चंद मिनटों में आ जाओगे। और शायद आप जी नहीं पाओगे वापस आने के बाद। सीमित सुख सुविधाओं में वो लोग जो बहुत अमीर है। वो नहीं जी पाते। वो बहुत कुछ बचा होने के बाद भी महसूस करते हैं तंगी। और तंगी से आत्महत्या कर लेते है। जिनके पास बंगला गाड़ी कुछ पैसे होते है। लेकिन बस पहले जैसे नहीं रह जाते। वो बस इतने से निराश हो के खुद को खत्म कर लेते है।  जीने के लिए चाहिए क्या । कुछ पैसे जो जरूरतें पूरा हो जाएं। असल में आत्महत्या एक बीमारी है। जिसको अपने चपेट में ले लेती है। वो चला जाता ऐसा मुझे लगता हैं। पैसों से आनंद मिलता है। ऐसा है क्या ? ,सरकारी स्कूलों से पढ़ कर , सरकारी बसों से यात्रा कर के। जनरल बोगी में यात्रा करके। पैदल कुछ दूरी चल के। गांव में रह के खेती कर के, साइकिल से चल के। किसी छोटी सी गुमटी में चाय पी के। पकौड़े समोसा खा के देखा हैं। इसमें कम आनंद है क्या। इसका भी अपना सुखद आनंद है। जितने जमीन से जुड़ेगे रहेंगे आप । यकीन मानिए आप जीवन में एक मजबूत योद्धा बने रहेंगे और आपकी हालत कभी ऐसी नहीं हो सकती कि आप दुनिया उमर से पहले छोड़ने का प्लान बना ले। जितने जमीन से जुड़े रहेंगे। उतना ही जीने का एक्सपीरियंस होगा। आगे बढ़ना अच्छी बात है । लेकिन इतना आगे नहीं कि वापस आओ तो जी नहीं पाओ। उसी जगह पे जहां जीवन जी चुके हो। सरल जीवन सहज बनती है। सहजता प्राकृतिक है। प्राकृतिक बोध करती है। की जीवन क्या है। असल में हम क्या है। प्राकृतिक को वास्तविकता पता है। हर जीव के जीवन का। 
-Lines from a Novel I'm writing- ongoing