न कुछ कहती थी सुनती थी चुप चाप वो रहती थी
मैंने उसको पहली बार देखा था जूलॉजी के क्लास में,
करने लगा था प्यार मै शायद पहली मुलाकात में
काले काले नैना थे उसके घुंघराले थे बाल
जब तक मै न देखू उसको दिल रहता था बेहाल
जब ये मेरा हाल था वो फर्स्ट ईयर का साल था
ये जो दिल पर असर हुवा था,ये उसके नजरो का कमाल था
उससे बाते करने को दिल मेरा बेहाल था
जब सोचा में बता दू उसको
ये 2 ईयर का साल था
अगला साल सुरु हुवा कहानी फिर सुरु हुई
सोच लिया अब मैंने भी हाले दिल बताने को
अब हर वक्त दिल मे जो रहता था, वो बस उसी का ख्याल था
आँखों में बस ख्वाब जलते थे, मोहब्बत के इज़हार का
सोचा मै बता दू उसको बाते अपनी प्यार का,
पर कही गुसा न हो जाये
मन में रहता बस यही सवाल था.
यही सोच के डरता रहा चुप चाप बस सोचता रहा, हाले दिल इजहार का"
कैसे बताऊ कितना मेरा उसके प्यार में बुरा हल था.
जिस दिन मुझको चैन न आती ओ दिन रविवार था
मेरी मोहब्बत मेरे दिल दबी रह गयी
और ओ मुझसे जुदा हो गयी। और ये लास्ट ईयर का साल था
छोड़ गयी ओ अपनी यादे
हर गली चौबारे में
उसके देख लेता हु मै कभी कभी चाँद और सितारों में
Written by"""" vinod kushwaha